Bihar Voter List. बिहार में चल रहे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को आदेश दिया है कि वह 65 लाख हटाए गए मतदाताओं के नाम और उन्हें हटाए जाने का कारण सार्वजनिक करे।
चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने गुरुवार को सर्वोच्च अदालत को बताया कि यह सूची पहले ही बूथ स्तर के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को उपलब्ध कराई जा चुकी है, और अब इसे ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया जाएगा। नागरिक अपने इलेक्टोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) नंबर के माध्यम से इस सूची में अपना नाम चेक कर सकेंगे।
न्यायालय का आदेश: प्रत्येक जिले में जानकारी सार्वजनिक हो
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में न्यायमूर्ति सूर्य कान्त और न्यायमूर्ति जयमाल्या बागजी ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जिन 65 लाख लोगों के नाम 2025 की मतदाता सूची में शामिल थे, लेकिन अब उन्हें ताजा मसौदे में शामिल नहीं किया गया है, उनके नाम प्रत्येक जिले के निर्वाचन अधिकारी और केंद्रीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक किए जाने चाहिए। इसके अलावा, यह लिस्ट बूथवार तरीके से प्रदर्शित की जानी चाहिए, जिसमें मतदाताओं के EPIC नंबर भी होंगे और नाम हटाने का कारण भी दिया जाएगा।
सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से व्यापक प्रचार
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह भी आदेश दिया कि वह बिहार में सर्वाधिक प्रसार वाले स्थानीय और अंग्रेजी दैनिकों में सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से इस प्रक्रिया का व्यापक प्रचार करे। इसके साथ ही, यह जानकारी दूरदर्शन और आकाशवाणी पर भी प्रसारित की जाए।
न्यायालय ने यह भी कहा कि अगर जिला निर्वाचन अधिकारी का कोई सोशल मीडिया हैंडल है, तो उस पर भी सूची प्रदर्शित की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक यह जानकारी पहुँच सके।
बूथ स्तर पर सूची प्रदर्शित की जाएगी
कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि प्रत्येक बूथ स्तर के अधिकारी को संबंधित पंचायत भवनों या खंड विकास कार्यालयों में नोटिस बोर्ड पर बूथवार सूची प्रदर्शित करनी होगी, जिसमें हटाए गए मतदाताओं के नाम और हटाए जाने का कारण बताया जाएगा। इस कदम से चुनाव आयोग को नागरिकों तक सही और समय पर जानकारी पहुंचाने में मदद मिलेगी।
22 अगस्त को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 22 अगस्त को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा और चुनाव आयोग की रिपोर्ट देखने के बाद याचिकाकर्ता पक्ष के अन्य सुझावों पर भी सुनवाई करेगा।