Uttrakhand: जहां आज के राजनेता अक्सर कैमरों के आगे ही “जमीन से जुड़ाव” जताते हैं, वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा के नगरा तराई क्षेत्र में खेत में उतरकर धान की रोपाई कर एक सच्चा संदेश दिया – कि किसानों का श्रम केवल आर्थिक नहीं, सांस्कृतिक पूंजी भी है।
सीएम धामी ने अपने हाथों से खेत की जुताई की और धान के पौधे लगाए, और इसी बहाने अपने बचपन और खेती से जुड़ी यादों को भी साझा किया। उन्होंने कहा, “धान की रोपाई करते हुए पुराने दिन याद आ गए। किसान केवल अन्नदाता नहीं, हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ और संस्कृति के संवाहक हैं।”
इस मौके पर सीएम धामी ने उत्तराखंड की लोक परंपरा ‘हुड़किया बौल’ के माध्यम से भूमिया देवता, इंद्र देव और बादल देवता की अर्चना कर भूमि, जल और पर्यावरण के प्रति भारतीय श्रद्धा परंपरा का प्रतीकात्मक सम्मान किया।
इस पूरी पहल ने न केवल किसानों में सम्मान और जुड़ाव की भावना को बढ़ाया, बल्कि क्षेत्रीय जनता के मन में यह विश्वास भी जगाया कि उनका नेता सिर्फ बातों से नहीं, कर्म से जमीन से जुड़ा है।
सीएम धामी की यह पहल बताती है कि अगर नेतृत्व मिट्टी की खुशबू समझे, तो नीति भी प्रामाणिक होगी और नीयत भी जनभावना से जुड़ी होगी। उत्तराखंड की ग्रामीण संस्कृति और किसान सम्मान की यह झलक, अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है।