नई दिल्ली। फाउंडेशन फॉर इंटरऑपरेबिलिटी इन डिजिटल इकॉनमी के सीईओ और सह-संस्थापक सुजीत नायर ने कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) अब सिर्फ एक तकनीक नहीं रहा, बल्कि यह एक “जन-सामूहिक आदत” बन चुका है। उन्होंने कहा कि करीब 500 मिलियन लोग डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) जैसे UPI को जीवनशैली का हिस्सा बना चुके हैं।

सुजीत नायर ने कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट के दौरान ANI से बातचीत में बताया कि किस तरह DPI लोगों और छोटे कारोबारों को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ने में सहायक बन रहा है। उन्होंने कहा, “DPI का उद्देश्य है कि आम लोग, सरकारी और निजी क्षेत्र मिलकर लोगों और छोटे कारोबारियों को सेवा प्रदान करें और उन्हें अवसर व विकल्प दें।”

उन्होंने ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक विकेन्द्रीकृत ई-कॉमर्स नेटवर्क है जो छोटे दुकानदारों और ड्राइवरों को अधिक अधिकार और भागीदारी का अवसर दे रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ONDC किसी सेंट्रल प्लेटफॉर्म पर निर्भर नहीं है, जिससे व्यापारी अपनी शर्तों पर डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग ले सकते हैं।

नायर ने कहा कि ड्राइवरों को सिर्फ सवारी नहीं बल्कि कर्ज, बीमा जैसे सुविधाएं भी ONDC के माध्यम से मिल सकती हैं, जो उनके आत्मनिर्भरता और विकास को मजबूती देती हैं।

भारत ने G20 अध्यक्षता के दौरान DPI मॉडल को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया, जिससे नाइजीरिया, मलावी, पापुआ न्यू गिनी, मोरक्को जैसे देशों ने भी इसे अपनाना शुरू किया है। हालांकि, डेटा सुरक्षा, तकनीकी समानता और सीमापार डेटा प्रवाह जैसी चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं।

भारत अब तक कई देशों के साथ DPI साझेदारी के लिए समझौता कर चुका है, ताकि डिजिटल विकास का लाभ वैश्विक स्तर पर साझा किया जा सके।

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