“गंगा में मत बहाना, मुझे इंसाफ़ न मिला तो नाले में बहा देना” — ये शब्द हैं उस इंजीनियर के जिसने तकनीक की दुनिया में भविष्य गढ़ा था, मगर अपने ही घर में ज़िंदगी हार गया। मोहित यादव, इटावा की एक निजी कंपनी में नौकरी करता था, मगर एक रिश्ते ने उसकी रगों में ऐसा ज़हर घोला कि उसने मौत को गले लगा लिया। होटल के एक कमरे से निकला उसका शव और मोबाइल में कैद आखिरी वीडियो — दोनों ही मौन हैं, पर चीखते हैं।
कहानी बस इतनी नहीं कि एक पति ने आत्महत्या की — कहानी ये है कि उसने अपनी पत्नी को नौकरी दिलाई, बच्चा चाहा, भरोसा किया, और बदले में उसे मिला धोखा, लालच और अपमान। पत्नी के पीछे सास की साजिशें थीं, मोहित के आरोपों में यही दर्द छलकता है। बच्चे को जबरन गिरवाया गया, ज़मीन-जायदाद पर दबाव डाला गया और फिर ज़ेवर समेटकर मायका — ये कोई प्रेमकहानी नहीं, एक सुनियोजित पतन की पटकथा थी।
मैनपुरी के बेबर थाने के गांव से आई प्रिया और मोहित के रिश्ते में शुरुआत से ही दरार थी, फिर भी मोहित ने सबकुछ दांव पर लगाकर शादी की। पर मोहब्बत को हर दिन घसीटा गया — कभी शक में, कभी स्वार्थ में। रिश्तों के नाम पर जो मिला, वो एक कड़वा सौदा था। आखिरकार, जब दर्द हद से पार हुआ, तो मोहित ने अपने जीवन का ‘लास्ट अपडेट’ एक वीडियो में अपलोड कर दिया — जिसमें इंसाफ़ की भी कीमत बताई गई: “नाले में बहा देना।”
अब पुलिस वीडियो की जांच कर रही है, परिवार एक-दूसरे पर उंगली उठा रहा है, और सोशल मीडिया पर सहानुभूति की पोस्टें उड़ रही हैं। मगर वो मोहित, जो अपनों के लिए जिया, मरा और मिटा — वो कहीं गुम हो गया। शायद इंसाफ़ मिल जाए… शायद न मिले। लेकिन एक बात तय है — इस समाज में अब मौत भी चिल्लाकर जाती है, फिर भी लोग कानों में रुई डाले बैठे हैं।