Thailand Wilawan Emsawat: थाईलैंड में एक ऐसा ब्लैकमेलिंग स्कैंडल सामने आया है, जिसने न केवल पूरे देश को हिला दिया, बल्कि बौद्ध धर्म के आदर्शों को भी सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। विलावन एमसावत, एक 35 वर्षीय महिला ने बौद्ध भिक्षुओं को यौन संबंधों के जाल में फंसाया और फिर उनके व्यक्तिगत वीडियो और तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेलिंग का खेल खेला। इस मामले में महिलाओं और भिक्षुओं की भूमिका के बीच घना धुंआ फैला हुआ है, और यही बात इसे और भी विवादास्पद बनाती है।
एक चौंकाने वाली कहानी
विलावन ने न केवल भिक्षुओं से यौन संबंध बनाए, बल्कि उनके साथ बनाए गए अश्लील वीडियो और तस्वीरों को ब्लैकमेलिंग के लिए इस्तेमाल किया। पुलिस के मुताबिक, महिला के पास 80,000 से भी ज्यादा अश्लील तस्वीरें और वीडियो थीं, जिनमें वह भिक्षुओं के साथ अंतरंग पलों में दिख रही थी। इन तस्वीरों और वीडियो को उसने पैसे की मांग के लिए उपयोग किया। इतना ही नहीं, पुलिस ने यह भी बताया कि महिला ने इन पैसों का एक बड़ा हिस्सा ऑनलाइन जुए में उड़ा दिया, जो कि थाईलैंड में पूरी तरह से अवैध है।
भिक्षुओं का कथित रिश्ता और गिफ्ट
अखबारों में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ भिक्षुओं ने माना है कि उनके और विलावन के बीच संबंध थे। एक भिक्षु ने दावा किया कि उसने महिला को एक कार भी गिफ्ट दी थी। लेकिन जब उसे यह पता चला कि वह महिला दूसरे भिक्षुओं से भी मिल रही है, तो उनके बीच विवाद हुआ और महिला ने पैसे मांगने शुरू कर दिए।
विलावन का चौंकाने वाला दावा
इस स्कैंडल का एक और दिलचस्प और शॉकिंग पहलू सामने आया, जब विलावन ने दावा किया कि उसका एक बच्चा है, जिसे उसने एक भिक्षु से जन्म दिया है। यह घटना तब सामने आई जब एक प्रमुख भिक्षु ने अचानक संन्यास ले लिया और गायब हो गया। महिला ने दावा किया कि यह वही भिक्षु है, जो उसके बच्चे का पिता है। इसने पूरे मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है, क्योंकि इसे न केवल धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है, बल्कि महिलाओं के अधिकार और भिक्षुओं की नैतिक जिम्मेदारी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
बौद्ध धर्म से निष्कासन और भविष्य के बदलाव
इस मामले के बाद, थाईलैंड में कुल 9 भिक्षुओं को बौद्ध धर्म से निष्कासित कर दिया गया है, जबकि दो अब भी फरार हैं। थाई संसद में इस मुद्दे पर एक समिति ने सुझाव दिया कि कानून में बदलाव किया जाए ताकि महिलाओं पर भी ऐसे मामलों में आरोप लगाया जा सके, लेकिन यह प्रस्ताव विवादों में है। कई लोग मानते हैं कि इस तरह के मामलों में पुरुषों को खुद अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए, बजाय इसके कि महिला को दोषी ठहराया जाए।
क्या सच में यह सब सिर्फ एक महिला की गलती है?
समाज में इस स्कैंडल को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग महिला को पूरी तरह से दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि भिक्षुओं की नैतिक जिम्मेदारी को नजरअंदाज करना गलत है। एक लेखक ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि भिक्षुओं के भीतर फैली झूठ और पाखंड की समस्या को उजागर करता है।
थाईलैंड की 90% आबादी बौद्ध धर्म का पालन करती है और देश में लगभग 2 लाख भिक्षु हैं। जब बौद्ध धर्म के सबसे ऊंचे पदों पर बैठे लोग ऐसे कृत्यों में लिप्त होते हैं, तो यह समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। खासकर जब इसे लेकर लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या भिक्षुओं की नैतिक जिम्मेदारी को गंभीरता से लिया जाएगा, या फिर इस सबका ठिकरा सिर्फ महिला पर फोड़ दिया जाएगा।