Subodh Singh Murder Case. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में वर्ष 2018 में हुए स्याना हिंसा कांड में अदालत ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 5 आरोपियों को उम्रकैद और 33 अन्य को सात-सात साल की सश्रम सजा सुनाई है। इस फैसले के साथ ही इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के मामले में न्याय की एक बड़ी प्रक्रिया पूरी हुई।

यह हिंसा 3 दिसंबर 2018 को उस समय भड़की थी, जब स्याना थाना क्षेत्र के चिंगरावटी गांव में खेत में गोवंश के अवशेष मिलने की अफवाह फैल गई। इसके बाद बड़ी संख्या में लोग उग्र हो गए और स्याना में धरना प्रदर्शन करने लगे। देखते ही देखते मामला हिंसक हो गया। भीड़ ने चिंगरावटी चौकी पर हमला बोल दिया, चौकी को आग के हवाले कर दिया और दर्जनों पुलिस वाहनों और निजी गाड़ियों को जला दिया। हालात इतने बिगड़े कि ड्यूटी पर तैनात इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई।

कोर्ट का फैसला: दोषियों को मिली सख्त सजा

इस मामले में बुलंदशहर की अदालत ने शुक्रवार को प्रशांत नट, डेविड, राहुल, जॉनी चौधरी और लोकेन्द्र को धारा 302 (हत्या), 120-B (षड्यंत्र) और अन्य गंभीर धाराओं में दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं 33 अन्य आरोपियों को IPC की धारा 147, 148, 436, 307, 353 जैसी धाराओं में दोषी पाते हुए 7 साल की कैद दी गई है।

इन दोषियों में बजरंग दल के तत्कालीन जिला संयोजक योगेश राज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े शिखर अग्रवाल, सचिन अहलावत और पवन राजपूत जैसे नाम भी शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी उस समय मीडिया की सुर्खियां बनी थी। इन सभी को भीड़ को भड़काने, सरकारी कार्य में बाधा डालने, आगजनी और हिंसा फैलाने का दोषी माना गया है।

44 आरोपियों में से 5 की हो चुकी है मौत

इस मामले में पुलिस ने कुल 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान 5 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि शेष 39 के खिलाफ सुनवाई जारी रही। बीते गुरुवार को अदालत ने 38 को दोषी ठहराया था, जिनमें से शुक्रवार को सजा का एलान किया गया।

इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या से उठे थे कई सवाल

इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या ने तत्कालीन योगी सरकार के कानून-व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए थे। सुबोध सिंह अखलाक कांड (दादरी, 2015) की जांच अधिकारी भी रह चुके थे, और ऐसे में इस केस ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा था। पूरे मामले को गोकशी और धार्मिक उन्माद से जुड़ा बताया गया, लेकिन जांच में यह सामने आया कि भीड़ को कुछ संगठनों और स्थानीय नेताओं ने भड़काया था।

प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया

फैसले के बाद बुलंदशहर प्रशासन ने इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था तैनात कर दी है। किसी भी संभावित तनाव को देखते हुए पुलिस और PAC की तैनाती की गई है। वहीं सरकार की ओर से अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि यह फैसला भीड़तंत्र और कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ एक सख्त संदेश है।

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