उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में हुए पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई हत्याकांड ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया था, और अब इस मामले में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है, जो रोंगटे खड़े कर देने वाला है। सीतापुर पुलिस ने 34 दिन की गहन जांच के बाद इस हत्याकांड की परतें उधेड़ दी हैं और मुख्य साजिशकर्ता के रूप में एक मंदिर के बाबा को गिरफ्तार किया है। इस बाबा ने अपने काले कारनामों के खुलासे के डर से पत्रकार की हत्या की साजिश रची और 4 लाख रुपये की सुपारी देकर शार्प शूटरों से इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिलवाया।
मंदिर का बाबा निकला हत्याकांड का मास्टरमाइंड
पुलिस जांच में सामने आया कि कारेदेव बाबा मंदिर का पुजारी शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड है। इस पुजारी ने अपने कुकर्मों को छुपाने के लिए पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की हत्या की साजिश रची। दरअसल, राघवेंद्र ने बाबा को मंदिर के अंदर एक बच्चे के साथ कुकर्म करते हुए देख लिया था और इस घिनौने कृत्य को अपनी खबर के जरिए उजागर करने की तैयारी कर रहे थे। अपने काले कारनामों के पर्दाफाश होने के डर से बाबा ने राघवेंद्र को रास्ते से हटाने का फैसला किया। उसने अपने दो करीबी लोगों के साथ मिलकर इस साजिश को अंजाम दिया और मिश्रिख के अटवा गांव के दो शार्प शूटरों को 4 लाख रुपये की सुपारी देकर हत्या करवा दी।
कैसे हुआ हत्याकांड?

8 मार्च 2025 को लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेमपुर रेलवे ओवरब्रिज के पास दिनदहाड़े दैनिक जागरण के संवाददाता राघवेंद्र बाजपेई की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बाइक सवार शूटरों ने राघवेंद्र की बाइक को टक्कर मारकर उन्हें गिराया और फिर कई राउंड फायरिंग कर उनकी जान ले ली। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी और पत्रकार समुदाय में आक्रोश की लहर दौड़ गई थी। राघवेंद्र की हत्या के बाद उनकी पत्नी ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने सुनियोजित हत्या का आरोप लगाया था।
पुलिस ने 3 आरोपियों को दबोचा, शूटरों की तलाश जारी

सीतापुर पुलिस ने इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी शिवानंद बाबा समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्र ने बताया कि 34 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद एसओजी और थाना महोली की टीम ने इस हत्याकांड का खुलासा किया। जांच के दौरान 1000 से अधिक मोबाइल नंबरों की निगरानी की गई, 250 सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए और 125 संदिग्धों से पूछताछ की गई। इस दौरान पुलिस को अहम सुराग मिले, जिसके आधार पर बाबा और उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, हत्या को अंजाम देने वाले दो शार्प शूटर अभी भी फरार हैं। इनकी तलाश में क्राइम ब्रांच और एसटीएफ की 10 टीमें नोएडा और आसपास के इलाकों में छापेमारी कर रही हैं। फरार शूटरों के सिर पर 25-25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की कीमत चुकानी पड़ी
राघवेंद्र बाजपेई एक युवा और ईमानदार पत्रकार थे, जिन्होंने धान खरीद और स्टांप ड्यूटी से जुड़े कई बड़े घोटालों को अपनी रिपोर्टिंग के जरिए उजागर किया था। उनकी खबरों ने भ्रष्टाचारियों के काले कारोबार पर लगाम लगाई थी, लेकिन इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। इस हत्याकांड ने एक बार फिर पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह सवाल उठता है कि क्या सच को उजागर करने की सजा मौत है? क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों को इस तरह निशाना बनाया जाता रहेगा?