Shubhanshu Shukla Space Travel. अंतरिक्ष से धरती पर लौटे भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की वापसी सिर्फ एक वैज्ञानिक सफलता नहीं, बल्कि हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा की कहानी बन गई है। स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से लौटे शुभांशु ने 18 दिन तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहकर करीब 60 वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया। लेकिन इस ऐतिहासिक मुकाम तक पहुंचने का उनका सफर आसान नहीं था। एक साधारण मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे इस युवक ने फुटबॉल मैदान से अंतरिक्ष तक की उड़ान तय की है।

स्कूल में टैलेंटेड, लेकिन स्पोर्ट्स के शौकीन

लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल में पढ़े शुभांशु शुक्ला की एक शिक्षिका ने बताया कि वह पढ़ाई में कम समय देने के बावजूद अच्छे अंक लाते थे, जिससे उनके सहपाठी हमेशा चौंकते थे। शुभांशु को फुटबॉल बेहद पसंद था, वह क्रिकेट भी खेलते थे। पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी बराबर दिलचस्पी रखते थे।

एक एयर शो से जगी थी उड़ान की ललक

1985 में लखनऊ में जन्मे शुभांशु एक बार अपने बचपन में एयरशो देखने गए थे। वहां विमानों की गड़गड़ाहट और रफ्तार ने उनके मन में उड़ान भरने की चाह जगा दी। हालांकि जब उन्होंने NDA में आवेदन किया तो उम्र अधिक होने के कारण उनका फॉर्म रिजेक्ट हो गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। साल 2006 में भारतीय वायुसेना में उनका चयन हुआ और उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में M.Tech की डिग्री हासिल की।

ISRO के पहले भारतीय ISS यात्री

शुभांशु को 2019 में ISRO के ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम के लिए चुना गया। वे उन चार उम्मीदवारों में शामिल थे जिन्हें रूस में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। इस बार उन्होंने एक्सिओम-4 मिशन के तहत ISS की यात्रा की, जिससे वह राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय बन गए, और ISS पर जाने वाले पहले भारतीय नागरिक का दर्जा हासिल किया।

संघर्ष में नहीं था परिवार का साथ

उनकी शिक्षिका ने बताया कि जब शुभांशु ने NDA के लिए आवेदन किया था, तब उनके माता-पिता को यह राह मुश्किल लगी और उन्होंने उन्हें ज्यादा समर्थन नहीं दिया। लेकिन शुभांशु ने अपने सपने पर विश्वास रखा, और अपनी लगन व मेहनत से भारत के नाम को अंतरिक्ष में फिर से ऊँचा किया।

अंतरिक्ष में किया 60 से अधिक प्रयोगशुभांशु और उनकी टीम ने अंतरिक्ष में रहते हुए सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, जैविक बदलाव, जल व्यवहार, मानव शरीर पर प्रभाव जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर अध्ययन किया। यह अनुभव भारत के आगामी गगनयान मिशन की तैयारी के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।

पूरे लखनऊ को है गर्व

शुभांशु के लैंड करते ही पूरे लखनऊ में खुशी की लहर दौड़ गई। उनकी शिक्षिका ने कहा जब शुभांशु कैलिफोर्निया से वापस आएंगे, तो पूरा लखनऊ गर्व और सम्मान के साथ उन्हें स्वागत करने उमड़ेगा। वो न सिर्फ एक एस्ट्रोनॉट हैं, बल्कि लाखों छात्रों के आदर्श हैं।

एक साधारण युवक की असाधारण उड़ान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश के शीर्ष वैज्ञानिकों तक ने शुभांशु की इस ऐतिहासिक वापसी पर बधाई दी है। ये सिर्फ एक मिशन की सफलता नहीं, बल्कि उस भारत की कहानी है जो सपने देखने वालों को अवसर देता है और उन्हें सितारों तक पहुंचने की ताकत भी।

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