Shubhnshu Shukla Space Mission. भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण मंगलवार दोपहर को तब आया जब एयरफोर्स ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सफलतापूर्वक अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौट आए। स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने उन्हें और उनके तीन सहयोगियों को लेकर कैलिफोर्निया के तट के पास प्रशांत महासागर में दोपहर 3:01 बजे (IST) सुरक्षित लैंडिंग कराई। इस ऐतिहासिक यात्रा के साथ शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय और राकेश शर्मा (1984) के बाद दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं।
मिशन में 18 दिन, 60+ वैज्ञानिक प्रयोग, 1.30 करोड़ किमी की यात्रा
25 जून को लॉन्च हुए एक्सिओम-4 मिशन में शुभांशु शुक्ला ने 18 दिन ISS पर बिताए। इस दौरान उन्होंने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें शून्य-गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव, माइक्रोग्रैविटी में शरीर की प्रतिक्रियाएं, और जल के व्यवहार जैसे अहम अनुसंधान शामिल रहे। उन्होंने लगभग 1.30 करोड़ किलोमीटर की यात्रा की और उनकी वापसी की प्रक्रिया में 22.5 घंटे लगे।
मिशन का दल और भारत की ऐतिहासिक वापसी
मिशन में शुक्ला के साथ कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू शामिल थे। यह मिशन न केवल भारत बल्कि पोलैंड और हंगरी की भी अंतरिक्ष में चार दशकों बाद वापसी का प्रतीक बना।
भारत का योगदान और गगनयान की तैयारी
इसरो ने इस मिशन में भारतीय भागीदारी के लिए करीब 550 करोड़ रुपये का निवेश किया। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह अनुभव भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ (2027) की योजना और निष्पादन के लिए एक टेक्नोलॉजिकल फीडबैक की तरह काम करेगा।
“सारे जहां से अच्छा” दिखता है भारत: शुक्ला
आईएसएस पर विदाई समारोह में भावुक होते हुए शुभांशु शुक्ला ने कहा जब मैंने 25 जून को फाल्कन-9 से उड़ान भरी थी, तब इसकी कल्पना भी नहीं की थी। लेकिन जो अनुभव मुझे वहां मिला, वह अविश्वसनीय था। मैंने वहां से जब भारत को देखा तो वही बात दोहराई – ‘सारे जहां से अच्छा।’ आज का भारत आत्मविश्वास और गर्व से भरा हुआ दिखाई देता है।
सुरक्षा जांच और रिकवरी
स्प्लैशडाउन के बाद स्पेसएक्स और नासा की टीमों ने पूरे दल की स्वास्थ्य जांच शुरू की। अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के कारण शरीर को दोबारा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार ढालने के लिए शुक्ला समेत सभी यात्रियों को कम से कम 7 दिन के पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरना होगा।
भारत में परिवार और देश का उत्साह
लखनऊ में स्थित शुक्ला के घर पर परिवार ने शिव मंदिर में रुद्राभिषेक किया और पूरे मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना की। उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला ने कहा जब यान अलग हो रहा था, हम चुपचाप प्रार्थना कर रहे थे। आज हम बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक मिशन की सफलता पर शुभांशु शुक्ला को बधाई दी। उन्होंने कहा उनका यह साहसिक और प्रेरणादायी कदम एक अरब भारतीयों के सपनों को नई उड़ान देता है। यह मिशन गगनयान की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।