लखनऊ: समाजवादी आंदोलन के पुरोधा और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक जीवन संघर्ष और संघर्ष की मिसाल रहा है। इटावा के सैफई गांव से निकलकर प्रदेश की सत्ता और देश के रक्षामंत्री पद तक पहुंचे नेताजी की इमरजेंसी के दिनों की कहानी आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है।
दरअसल, शिवपाल सिंह यादव ने भारत समाचार के एडिटर इन चीफ ब्रजेश मिश्रा को दिए गए पॉडकास्ट में उन दिनों का ज़िक्र करते हुए बताया कि 1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लागू की, तब पूरे देश में विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी का दौर शुरू हो गया था। पुलिस लगातार नेताजी को पकड़ने सैफई पहुंचती रही, लेकिन उन्हें चकमा देकर बचाने की कोशिशें भी होती रहीं।

पहली बार पहनी पैंट-शर्ट क्यों?
शिवपाल यादव ने बताया कि नेताजी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए ऐसा रूप धरा जिसे किसी ने सोचा भी नहीं था। उन्होंने पहली बार पैंट-शर्ट पहनी और लखनऊ इलाज कराने पहुंचे। ट्रेन में भी उन्हें सामने वाले गेट से नहीं, बल्कि उल्टी दिशा से चढ़ाया गया ताकि कोई पहचान न पाए।
18 महीने का रहा जेल का सफर
हालांकि पुलिस का दबाव लगातार बढ़ता गया और अंततः नेताजी ने खुद गिरफ्तारी देने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्हें करीब 18 महीने तक जेल में रहना पड़ा। शिवपाल यादव ने कहा कि शुरुआती दिनों में जेल में हालात बेहद कठिन थे, लेकिन नेताजी ने कभी हिम्मत नहीं हारी और साथी नेताओं का भी हौसला बढ़ाते रहे।
‘संघर्ष की कहानी, आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल’
शिवपाल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह यादव का जीवन संघर्ष और त्याग की मिसाल है। उन्होंने समाजवाद और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर कठिनाई झेली और कभी पीछे नहीं हटे।