सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) ने अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंदेनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों में आदानी ग्रुप और इसके संस्थापक गौतम आदानी को किसी भी तरह की गड़बड़ी से बरी कर दिया।
हिंदेनबर्ग ने दावा किया था कि 2020 में चार आदानी ग्रुप कंपनियों ने 6.2 अरब रुपये ($87.4 मिलियन) बिना वित्तीय विवरण में सही तरीके से दिखाए उधार दिए। इसके अलावा, आरोप था कि आदिकॉर्प एंटरप्राइजेज ने 6.1 अरब रुपये ($86 मिलियन) अनसिक्योर्ड तरीके से आदानी पावर को उधार दिए।
SEBI ने इस मामले की पूरी जांच की और पाया कि सभी लेन-देन वैध थे और लिस्टिंग एग्रीमेंट या LODR नियमों का उल्लंघन नहीं करते, क्योंकि ये “रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन” के अंतर्गत नहीं आते। इस फैसले के बाद आदानी ग्रुप के वित्तीय और कॉर्पोरेट प्रैक्टिसेस की वैधता की पुष्टि हुई।