Cross Border Terrorism. विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मुखौटे के रूप में काम करने वाले ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन घोषित करने की कूटनीतिक सफलता पर बयान दिया। उन्होंने कहा हमने अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह साबित किया कि टीआरएफ वास्तव में लश्कर-ए-तैयबा का ही हिस्सा है, और अब अमेरिका ने इसे आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता दी है। यह हमारी कूटनीतिक सफलता है।

सीजफायर पर क्या बोले विदेश मंत्री?

विदेश मंत्री ने पाकिस्तान से सीजफायर के अनुरोध पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा अगर पाकिस्तान को सीजफायर की इच्छा है, तो यह अनुरोध DGMO के माध्यम से आना चाहिए। दुनिया में ऐसा कोई नेता नहीं था जिसने भारत से अपना ऑपरेशन बंद करने के लिए कहा हो। हमारे प्रधानमंत्री और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई।

आतंकी गतिविधियों पर कड़ी प्रतिक्रिया

जयशंकर ने आतंकवाद को वैश्विक एजेंडे में रखने की भारत की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा पिछले दशक में हम आतंकवाद के मुद्दे को वैश्विक स्तर पर प्रमुख रूप से उठाने में सफल रहे हैं, चाहे वह BRICS, SCO, QUAD या द्विपक्षीय स्तर पर हो। इसके अलावा, उन्होंने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का भी उल्लेख किया, जिसके तहत मोदी सरकार ने उसे भारत वापस लाया और आज उस पर मुकदमे चल रहे हैं।

सिंधु जल संधि और भारत की प्रतिक्रिया

विदेश मंत्री ने सिंधु जल संधि पर भी महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा सिंधु जल संधि दुनिया के सबसे असाधारण समझौतों में से एक है, जिसमें भारत ने अपनी प्रमुख नदियों को बिना अधिकार के दूसरे देश में बहने की अनुमति दी। जब हमने इसे स्थगित किया, तो यह एक ऐतिहासिक कदम था।

भारत का क्रॉस बॉर्डर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष

जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा भारत आज भी क्रॉस बॉर्डर आतंकवाद का सामना कर रहा है और हमें दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा आतंकी घटनाओं का सामना करना पड़ता है।

आतंकी हमलों पर जयशंकर की कड़ी टिप्पणी

विदेश मंत्री ने 2008 के मुंबई हमलों को याद करते हुए कहा मुझे 2008 के बम धमाके याद हैं, जब दुनिया ने देखा कि भारत ने किस तरह से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने यह साफ कर दिया था कि “पानी और खून साथ नहीं बह सकता” और इस पर कार्रवाई कर दिखायी।

ऑपरेशन सिंधूर पर चर्चा

संसद में एक बार फिर से ऑपरेशन सिंधूर पर चर्चा शुरू हो गई है, और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर संसद में अपने विचार व्यक्त किए।

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