भारत का विनिर्माण क्षेत्र Production Linked Incentive (PLI) योजना के जरिए ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। अप्रैल 2020 में ₹1.97 लाख करोड़ के बजट के साथ शुरू की गई यह योजना केवल एक प्रोत्साहन फ्रेमवर्क नहीं बल्कि भारत की औद्योगिक महत्वाकांक्षाओं को नई दिशा देने वाली रणनीतिक पहल है। इसका उद्देश्य भारत का विनिर्माण हिस्सा GDP का 25 प्रतिशत तक बढ़ाना और देश को वैश्विक औद्योगिक शक्ति बनाना है।

PLI योजना के परिणाम: निवेश और रोजगार में बढ़ोतरी

मार्च 2025 तक, सरकार ने 14 रणनीतिक क्षेत्रों में 806 आवेदन को मंजूरी दी, ₹1.76 लाख करोड़ के निवेश आकर्षित किए और 12 लाख से अधिक सीधे और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए। ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि योजना केवल औद्योगिक उत्पादन को ही नहीं बल्कि रोजगार सृजन, नवाचार और विदेशी निवेश को भी बढ़ावा दे रही है।

इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में सफलता

PLI योजना की सबसे बड़ी सफलता कहे जाने वाले क्षेत्रों में से एक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण है। National Policy on Electronics (2019) के समर्थन से, PLI ने भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला में ऊपर चढ़ने का अवसर दिया, जिससे प्रमुख स्मार्टफोन और कंपोनेंट निर्माता भारत में निवेश कर रहे हैं।

पिछले चार वर्षों में उत्पादन में 146 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो FY 2020-21 में ₹2.13 लाख करोड़ से बढ़कर FY 2024-25 में ₹5.25 लाख करोड़ हो गया। भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माण केंद्र बन चुका है और स्मार्टफोन एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है। यह बदलाव न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है बल्कि Digital India पहल को भी सशक्त कर रहा है।

ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में तेजी

ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स सेक्टर ने भी महत्वपूर्ण प्रगति की है। ₹67,690 करोड़ के निवेश में से ₹14,043 करोड़ मार्च 2024 तक साकार हुए और इस क्षेत्र में 28,884 से अधिक रोजगार सृजित हुए।

इस वृद्धि की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid & Electric Vehicles) पहल के साथ मेल खाती है। योजना द्वारा 19 श्रेणियों की उन्नत ऑटोमोबाइल तकनीक और 103 श्रेणियों के कंपोनेंट्स को प्रोत्साहित किया गया है, जिससे भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। अगले दशक में भारत वैश्विक EV और स्वच्छ मोबिलिटी समाधानों का केंद्र बन सकता है।

फार्मा उद्योग: घाटे से अधिशेष की ओर

PLI योजना के तहत फार्मास्यूटिकल क्षेत्र की सफलता भी उल्लेखनीय है। जो कभी बुनियादी दवाओं और कच्चे माल के लिए आयात पर निर्भर था, उसने केवल तीन वर्षों में व्यापार संतुलन पलट दिया

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