OTT Ban: आप फिल्मों के शौकीन है या नहीं…अगर हां…तो ये खबर आपके लिए ही है,क्योंकि अब फिल्मों को देखने के लिए थिएटर में कम जाते है…और थर्ड पार्टी ऐप का भी इस्तेमाल कम करते है…क्योंकि अब हम लोगों के पास है ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जहां हर तरीके का मनोरंजन एक ही जगह पर आप लोगों को देखने को मिल जाता है…अब लोग ओटीटी को ही अपना सहारा और घर बना चुके है… और यहीं उन लोगों के फिल्मों के देखने को सबसे बड़ा रीजन है. अब इनमें से ही कई ओटीटी प्लेफॉर्म्स पर हंटर चल गया है…और बहुत बड़ी गाज गिर गई है….
देश में बढ़ती डिजिटल पहुंच के बीच अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार ने अब कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अश्लीलता फैलाने वाले 24 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को तत्काल प्रभाव से बैन कर दिया है।
ULLU ऐप और ALT बालाजी जैसे बड़े नाम भी इस लिस्ट में शामिल हैं, जिनके ऊपर लंबे समय से अश्लीलता परोसने के आरोप लगते रहे हैं। इसके अलावा Desiflix और Big Shots जैसे प्लेटफॉर्म भी इस कार्रवाई की चपेट में आए हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इन प्लेटफॉर्म्स द्वारा परोसा जा रहा कंटेंट आईटी रूल्स और नैतिकता के मानकों का उल्लंघन कर रहा था।
सरकार का संदेश साफ — “OTT के नाम पर नहीं चलेगी फूहड़ता”
जानकारों की मानें तो लंबे समय से जनता और सामाजिक संगठनों की ओर से इन ओटीटी ऐप्स पर शिकायतें आ रही थीं। सोशल मीडिया पर भी लगातार यह मांग उठ रही थी कि ‘डिजिटल कंटेंट की आड़ में जिस तरह की फूहड़ता परोसी जा रही है, उस पर तुरंत रोक लगे।’
सरकार ने इस फैसले के ज़रिए एक कड़ा संदेश देने की कोशिश की है — अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब अश्लीलता की छूट नहीं है।
क्या कहा मंत्रालय ने?
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि ये सभी प्लेटफॉर्म्स “समाज में विकृति और सांस्कृतिक गिरावट को बढ़ावा दे रहे थे”। मंत्रालय ने यह भी कहा कि इन ओटीटी ऐप्स द्वारा परोसा जा रहा कंटेंट युवाओं और किशोरों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा था।
क्या अब और भी ऐप्स पर होगी कार्रवाई?
सूत्रों के अनुसार, यह शुरुआत भर है। मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि अगर अन्य प्लेटफॉर्म्स भी भविष्य में ऐसी ही गतिविधियों में शामिल पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।
सोशल मीडिया पर भी मचा बवाल
इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। जहां एक वर्ग सरकार के इस कदम की सराहना कर रहा है, वहीं कुछ लोग इसे सेंसरशिप बता रहे हैं। हालांकि बड़ी संख्या में यूजर्स इसे ‘संस्कृति की रक्षा’ से जोड़कर सही ठहरा रहे हैं।