Mumbai: भारत में रेलवे स्टेशनों पर स्थानीय शिल्प और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई सरकारी योजना **’एक स्टेशन, एक उत्पाद’ (OSOP) ने समृद्धि और विकास की नई दिशा दिखाई है। इस पहल के तहत अब देशभर में 1,854 आउटलेट संचालित हो रहे हैं, जो भारतीय उत्पादों को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित कर रहे हैं।

157 आउटलेट सिर्फ सेंट्रल रेलवे में

सेंट्रल रेलवे में अकेले 157 आउटलेट हैं, जो इस योजना के प्रति रेलवे की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इनमें से भुसावल डिवीजन सबसे आगे है, जहां 25 आउटलेट संचालित हो रहे हैं, जो न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि इनका नेतृत्व भी महिलाएं कर रही हैं। भुसावल डिवीजनल रेलवे मैनेजर इति पांडे ने कहा कि यह पहल रेलवे स्टेशनों को जीवंत बाज़ारों में बदलने के सरकार के दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो स्थानीय शिल्प कौशल का उत्सव मनाते हैं और उन्हें समर्थन देते हैं।

कारोबार को 1,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाया

इस योजना को अखिल भारतीय स्तर पर लागू करने के लिए रेल मंत्रालय ने विभिन्न नीतिगत अद्यतन किए हैं। ‘वोकल फॉर लोकल’ को साकार करने के लिए शुरू की गई इस योजना ने अब तक 100 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार को 1,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाया है।

आय के अवसर भी प्रदान कर रहे

अब महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर स्वदेशी उत्पादों के लिए बाजार तैयार हो गया है। इन स्टॉल्स का उद्देश्य यात्रियों को भारत की समृद्ध विरासत से परिचित कराना है, साथ ही यह समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं।

उद्यमियों को मिल सकें विकास के अवसर

शुरुआत में न्यूनतम पंजीकरण शुल्क के साथ 15 दिनों के लिए आवंटित इन दुकानों को अब तीन महीने के लिए आवंटित किया जा रहा है, ताकि स्थानीय उद्यमियों को स्थिरता और विकास के अवसर मिल सकें।

महिला उद्यमियों ने की इस पहल में प्रगति

भुसावल डिवीजन में महिला उद्यमियों ने इस पहल में महत्वपूर्ण प्रगति की है। महिलाएं भुसावल और जलगांव में पैठनी साड़ियों, पर्स, भुने हुए उत्पाद, और अकोला में बांस शिल्प जैसे स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन कर रही हैं। पांडे ने कहा, “ये उद्यम मुख्यतः निम्न-आय वर्ग की महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं, और यह न केवल लाभकारी हैं, बल्कि समुदाय की अन्य महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं।”

इस योजना ने महिलाओं को बनाया सशक्त

OSOP पहल ने न सिर्फ स्थानीय शिल्प कौशल को बढ़ावा दिया है, बल्कि महिलाओं को सशक्त भी किया है, और इसके परिणाम स्वरूप पूरे देश में स्वदेशी उत्पादों की पहचान मजबूत हो रही है।

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