Waqf Bill, Tax Relief, Suspensions: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद संसद के पहले तीन सत्रों में सरकार ने तेज़ी से काम किया, लेकिन विवाद और विपक्ष का विरोध भी जमकर देखने को मिला। तीन प्रमुख घटनाएँ…वक्फ संशोधन विधेयक, आयकर में राहत और विपक्षी सांसदों का निलंबन… इन सत्रों की मुख्य झलक बनकर सामने आईं।

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा। यह बिल देशभर की वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के नाम पर लाया गया। इसमें वक्फ संपत्तियों को डिजिटाइज़ करने, अवैध कब्जों को रोकने और वक्फ बोर्डों में महिलाओं व विशेषज्ञों को शामिल करने का प्रावधान है। सरकार का कहना है कि यह मुसलमानों के हित में बड़ा सुधार है, लेकिन विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यकों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करार दिया। सदन में इस बिल पर तीखी बहस हुई, और अंततः सरकार ने अपने बहुमत के बल पर इसे पास करा लिया।

दूसरा बड़ा कदम रहा टैक्स प्रणाली में राहत देना। वित्त मंत्री ने बजट सत्र में मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव किए, जिससे परिवारों को शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य खर्चों में थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद बनी। हालांकि विपक्ष ने इसे “चुनावी स्टंट” बताया, लेकिन जनता के बीच इसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।

संसद सत्रों में बार-बार विपक्षी हंगामे और मुद्दों को लेकर असहमति का सामना करना पड़ा। इसके चलते कई विपक्षी सांसदों को सत्र से निलंबित भी किया गया, जिसे लेकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठे। हालांकि, सत्ता पक्ष का कहना है कि यह अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक था।

इन सत्रों में सरकार ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ जैसे बड़े एजेंडे भी सामने रखे, जो भविष्य की चुनावी प्रणाली में व्यापक बदलाव का संकेत देते हैं। सरकार की तरफ से यह स्पष्ट किया गया कि वह तेजी से फैसले लेने और नीति निर्धारण में सक्रिय भूमिका निभाना चाहती है।

विपक्ष की आलोचना के बावजूद, मोदी सरकार ने अपनी दिशा स्पष्ट कर दी है—संस्थागत सुधार, कर प्रणाली में सरलीकरण और शासन में सख्ती। संसद के ये सत्र न केवल विधायी कार्यों के लिए, बल्कि राजनीतिक ध्रुवीकरण और लोकतंत्र में जवाबदेही की नई बहस के लिए भी याद किए जाएंगे।

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