Meerut: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (CCSU) में 207 अवैध दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की नियुक्ति को लेकर नया खुलासा हुआ है। सरकार ने इस मामले में यूपी विजिलेंस को जांच सौंप दी है। आरोप है कि 2001 के शासनादेश की अवहेलना करते हुए 2003 में इन कर्मियों की नियुक्ति की गई, जो अब तक हर महीने नियमित रूप से वेतन प्राप्त कर रहे हैं।
वेतनभोगियों के पास अपने नियुक्तिपत्र तक नहीं
विवरण के अनुसार, इन अवैध नियुक्तियों में शामिल कई वेतनभोगियों के पास अपने नियुक्तिपत्र तक नहीं हैं, और इनकी नियुक्ति में कोई औपचारिकता नहीं निभाई गई। शासनादेश के तहत ऐसी नियुक्तियों को मंजूरी नहीं थी, बावजूद इसके, तत्कालीन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन कर्मियों को काम पर रखा और वेतन जारी किया गया।
अब तक उनकी तनख्वाह जारी
इस मामले में तत्कालीन कुलपति डॉ. रामपाल सिंह और वित्त नियंत्रक सीके सिंह मुख्य आरोपी हैं, जो नियुक्तियों की प्रक्रिया में शामिल रहे। जानकारी के मुताबिक, इन कर्मियों को बिना किसी उचित कानूनी प्रक्रिया के नियुक्त किया गया, और अब तक उनकी तनख्वाह जारी है।
बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की गंध
यूपी विजिलेंस की मेरठ टीम ने इस घोटाले की जांच शुरू कर दी है और CCSU के वर्तमान कुलपति को जांच में सहयोग के लिए चिठ्ठी भेजी है। माना जा रहा है कि इस मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की गंध आ रही है, और जल्द ही अधिक जानकारी सामने आ सकती है।
शासनादेशों की अवहेलना
वर्तमान में यह मामला एक बड़े घोटाले का रूप लेता जा रहा है, जो शासनादेशों की अवहेलना, वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है। UP विजिलेंस की टीम ने जांच में तेजी लाने की योजना बनाई है, ताकि इस घोटाले में शामिल सभी आरोपियों को कानून के दायरे में लाया जा सके।