उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1 सितम्बर, 2025 को अपने सरकारी आवास पर आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में कारागार प्रशासन और सुधार सेवाओं की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि गम्भीर बीमारियों या अशक्तता से ग्रसित बंदियों की समयपूर्व रिहाई प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और मानवीय दृष्टिकोण से परिभाषित किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी कारागारों में सर्वेक्षण कर घातक बीमारी, वृद्धावस्था या स्थायी अशक्तता वाले सिद्धदोष बंदियों की वास्तविक संख्या का आकलन किया जाए। महिलाओं और बुजुर्गों को प्राथमिकता के आधार पर रिहा करने की व्यवस्था की जाएगी।
सीएम ने यह भी कहा कि बंदियों को कृषि, गोसेवा और अन्य उपयोगी कार्यों से जोड़कर उनकी जेल अवधि का सदुपयोग किया जाए। साथ ही यह स्पष्ट किया गया कि हत्या, आतंकवाद, देशद्रोह, महिला और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों में समयपूर्व रिहाई नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने प्रत्येक वर्ष जनवरी, मई और सितम्बर में पात्र बंदियों के मामलों की स्वतः समीक्षा करने का निर्देश दिया। यदि किसी बंदी को रिहाई न दी जाए, तो कारण स्पष्ट रूप से दर्ज किए जाएंगे और उसे निर्णय को चुनौती देने का अधिकार प्राप्त होगा।
इसके अलावा, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की सुझाई गई प्रणाली को यूपी में अपनाने पर भी विचार किया जा रहा है, ताकि बंदियों को न्यायिक अधिकारों का लाभ तेजी और निष्पक्षता से मिल सके।