Startup IPO India. भारतीय स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) ऐतिहासिक साबित हुआ है। इस दौरान वेंचर फंड से समर्थित कंपनियों ने IPO, FPO और QIP के ज़रिए सार्वजनिक बाज़ार से 44,000 करोड़ ($5.3 बिलियन) से अधिक की पूंजी जुटाई। यह आंकड़ा प्राइवेट निवेश की तुलना में दोगुना है और स्टार्टअप फंडिंग के पारंपरिक मॉडल में एक बड़ा संरचनात्मक बदलाव दर्शाता है।

यह जानकारी इनवेस्टमेंट बैंक रेनमेकर ग्रुप की रिपोर्ट RainGauge Index FY25 Annual Update में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, लेट-स्टेज फंडिंग के लिए अब सार्वजनिक बाज़ार, प्राइवेट कैपिटल से आगे निकल गए हैं।

रेनमेकर ग्रुप के मैनेजिंग पार्टनर कश्यप चंचानी ने कहा, “FY25 ने केवल स्टार्टअप लिस्टिंग की परीक्षा नहीं ली, बल्कि उन्हें परिपक्व भी किया है। अब भारत की उभरती कंपनियों के लिए सार्वजनिक बाजार पसंदीदा प्लेटफॉर्म बन चुका है। हमने अब स्टार्टअप इकोसिस्टम का पूरा चक्र देखा – IPO की दीवानगी, वैल्यूएशन में गिरावट, और अब ठोस बुनियादों पर आधारित पुनर्मूल्यांकन का दौर। यह ‘सीजनिंग’ का युग है, जहां बाजार अब कहानियों पर नहीं, हकीकत पर दाम लगा रहा है।”

रिपोर्ट के अनुसार, PE/VC फर्मों ने भी इस साल रिकॉर्ड स्तर पर 20,000 करोड़ से अधिक के सेकेंडरी एग्ज़िट्स किए हैं। फर्मों जैसे Peak XV और TPG ने ब्लॉक और बल्क डील्स के ज़रिए अपनी पुरानी हिस्सेदारियों से मुनाफा कमाया।

वर्ष की शुरुआत में बाजार में गिरावट और 78,000 करोड़ की रिकॉर्ड FII आउटफ्लो के बावजूद, चौथी तिमाही तक विदेशी निवेशकों की वापसी ने तस्वीर बदल दी। ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं और भारत की स्थिर मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिति इसके पीछे प्रमुख कारण रहीं।

इस दौरान कई प्रमुख स्टार्टअप कंपनियों ने भी इंडेक्स में एंट्री की —

  • Zomato ने NIFTY50 और SENSEX में प्रवेश किया
  • Swiggy को NIFTY Next 50 में शामिल किया गया
  • Nykaa, PB Fintech और Ola Electric को NIFTY MidCap150 में जगह मिली

रेनमेकर की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अब IPO के ज़रिए मिलने वाली वैल्यूएशन में बढ़त या आसान एग्ज़िट्स का दौर खत्म हो गया है। ऐसे में स्टार्टअप्स को अपने शुरुआती चरण से ही सार्वजनिक बाजार की अपेक्षाओं के अनुरूप खुद को तैयार करना होगा।

अब सेक्टर-विशिष्ट वैल्यूएशन गाइडलाइंस लागू हो गई हैं, जहां EV/EBITDA जैसे दो साल आगे के मल्टीपल्स इंटरनेट, SaaS, BFSI और कंज्यूमर ब्रांड्स जैसे क्षेत्रों में मूल्यांकन की रूपरेखा तय करते हैं। विश्लेषक स्तर की पारदर्शिता, इकाई अर्थशास्त्र, और टिकाऊ विकास रणनीतियां अब ज़रूरी होंगी। स्टार्टअप्स को अब पूंजी दक्षता, विश्वसनीय नैरेटिव और सुदृढ़ गवर्नेंस पर ध्यान देना होगा, न कि केवल ऊंचे वैल्यूएशन के पीछे भागना होगा,” रिपोर्ट में कहा गया।

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