INS Udaygiri. 26 अगस्त, 2025 को भारतीय नौसेना दो अत्याधुनिक फ्रिगेट्स, INS Udaygiri (F35) और INS Himgiri (F34), को एक साथ सेवा में शामिल करेगी। यह पहला मौका होगा जब दो बड़े सतही युद्धपोत, जो अलग-अलग भारतीय शिपयार्डों में बने हैं, एक साथ नौसेना में प्रवेश करेंगे। यह सिर्फ औपचारिकता नहीं है, बल्कि भारत की क्षमता को दर्शाता है कि वह जटिल युद्धपोतों को स्वदेशी रूप से डिज़ाइन, निर्माण और परिचालित कर सकता है।
फ्रिगेट्स आकार और क्षमता में डिस्ट्रॉयर और कोरवेट्स के बीच आते हैं और इनकी बहु-कार्यात्मक क्षमता उन्हें कई तरह के मिशनों के लिए सक्षम बनाती है। ये एंटी-सबमरीन, एंटी-एयर और एंटी-सर्फेस युद्ध में इस्तेमाल होते हैं और एयरक्राफ्ट कैरियर्स, एंफीबियस जहाज और व्यापारी जहाजों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। साथ ही, ये समुद्री सुरक्षा, समुद्री डकैती रोकने और EEZ की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
INS Udaygiri मुंबई के Mazagon Dock Shipbuilders Limited (MDL) द्वारा निर्मित है। यह अपने वर्ग का दूसरा जहाज है और Warship Design Bureau द्वारा डिज़ाइन किया गया 100वां जहाज है। INS Himgiri कोलकाता के Garden Reach Shipbuilders & Engineers (GRSE) द्वारा निर्मित है। यह Nilgiri-class का तीसरा जहाज है और GRSE से बाहर निकलने वाला पहला जहाज है।
दोनों जहाजों में CODOG propulsion है, जो डीज़ल इंजन और गैस टर्बाइन का संयोजन प्रदान करता है। ये 32 नॉट की उच्च गति और 5,500 नौटिकल मील की रेंज रखते हैं। फ्रिगेट्स में लंबी दूरी के सतही मिसाइलें, मध्यम दूरी की हवाई मिसाइलें, 76 mm की तोप, 30 mm और 12.7 mm की निकट रक्षा प्रणाली और टारपीडो व रॉकेट लॉन्चर शामिल हैं।
INS Udaygiri और INS Himgiri के शामिल होने के साथ ही भारत की नौसेना में Project 17A stealth frigate program का अगला चरण पूरी तरह operational होगा। यह फ्रिगेट्स स्वदेशी डिजाइन और निर्माण का प्रमाण हैं और भारतीय नौसेना को आधुनिक, बहु-कार्यात्मक और लंबी दूरी की संचालन क्षमता प्रदान करेंगे।
इन फ्रिगेट्स के निर्माण में 200 से अधिक MSMEs की भागीदारी रही, जिससे लगभग 4,000 सीधे और 10,000 अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए। इसके साथ ही, ये जहाज भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भर और आधुनिक नौसैनिक शक्ति की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
INS Udaygiri और INS Himgiri की कमीशनिंग केवल नौसेना की क्षमता बढ़ाने का कदम नहीं है। यह भारत की डिज़ाइन, इंजीनियरिंग और संचालन क्षमता का प्रमाण है और देश की आत्मनिर्भर नौसेना के लिए मील का पत्थर है। इन जहाजों का inducted होना भारत की समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय प्रभाव को मजबूत करेगा।