PM Modi space policy: जब बात भारत की प्रगति की होती है, तो विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में उसकी अंतरिक्ष उपलब्धियां अब वैश्विक चर्चा का केंद्र बन चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अंतरिक्ष यात्रा (Space Odyssey) ने न सिर्फ गति पकड़ी है, बल्कि एक नए युग की शुरुआत भी की है…. जहाँ ISRO और निजी स्टार्टअप्स मिलकर देश को वैश्विक स्पेस लीडर बनाने में जुटे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान स्पेस सेक्टर को न सिर्फ नीति स्तर पर खोला, बल्कि निजी निवेश और नवाचार को भी बढ़ावा दिया। जहां पहले इस क्षेत्र में सिर्फ ISRO सक्रिय था, अब वही क्षेत्र 300 से ज्यादा भारतीय स्पेस स्टार्टअप्स से गुलजार है।
चंद्रयान से लेकर स्पेस स्टेशन तक
चंद्रयान‑3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारत ने स्पष्ट संकेत दे दिया कि वह चंद्रमा ही नहीं, अंतरिक्ष की गहराइयों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने को तैयार है। इसके बाद भारत की पहली मानवयुक्त मिशन ‘गगनयान’ पर भी तेज़ी से काम चल रहा है, जिसका पहला परीक्षण 2024 में हो चुका है और 2027 में भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाने वाले हैं। इतना ही नहीं, भारत ने 2035 तक खुद का स्पेस स्टेशन बनाने और 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने का भी लक्ष्य तय किया है।
निजी कंपनियों की बड़ी भूमिका
मोदी सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोला और इसके तहत IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Center) और ISpA (Indian Space Association) जैसी संस्थाएं बनीं। आज कई स्टार्टअप लॉन्च व्हीकल्स, सैटेलाइट्स, और ग्राउंड स्टेशन टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं। इससे भारत को विदेशी लॉन्च और टेक्नोलॉजी की निर्भरता से धीरे-धीरे आज़ादी मिल रही है।
आर्थिक और वैश्विक प्रभाव
भारत अब तक 400 से ज़्यादा विदेशी सैटेलाइट्स को लॉन्च कर चुका है, जिससे अरबों डॉलर का राजस्व आया है। ISRO के भरोसेमंद PSLV और GSLV प्रक्षेपणों के साथ भारत सस्ते, भरोसेमंद लॉन्चिंग पार्टनर के रूप में जाना जाता है। वहीं भारत की स्पेस इंडस्ट्री की वैल्यू 2025 तक $13 बिलियन तक पहुंच चुकी है, और इसका ग्लोबल मार्केट शेयर लगातार बढ़ रहा है।
दुनिया के लिए भरोसेमंद साझेदार
भारत अब केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी एक भरोसेमंद स्पेस पार्टनर बन चुका है। दक्षिण एशिया सैटेलाइट, सौर मिशन आदित्य‑L1 और स्पेस डॉकिंग जैसी क्षमताओं ने भारत को अमेरिका, यूरोप, रूस और जापान की कतार में लाकर खड़ा कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अंतरिक्ष यात्रा अब सिर्फ अंतरिक्ष मिशनों तक सीमित नहीं है। यह एक रणनीतिक, तकनीकी और आर्थिक बदलाव का प्रतीक बन चुकी है, जो देश को एक आत्मनिर्भर, अभिनव और वैश्विक स्पेस सुपरपावर के रूप में स्थापित कर रही है। भारत अब सिर्फ अंतरिक्ष में नहीं, बल्कि अंतरिक्ष नीति में भी भविष्य का नेतृत्व करने को तैयार है।