India Electricity Demand. इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की मिड-ईयर रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 में भारत की बिजली की मांग में केवल 4% की वृद्धि देखने को मिलेगी। इसकी वजह पहली छमाही में ठंडे मौसम के चलते खपत में गिरावट और पीक लोड का सितंबर में शिफ्ट होना बताया गया है। वहीं, 2024 में यह वृद्धि दर 6% थी।
आईईए ने कहा कि चीन और भारत जैसे बड़े देशों में अब मांग की रफ्तार धीमी हो रही है, जबकि वैश्विक स्तर पर बिजली की मांग तेज गति से बढ़ रही है।
सितंबर में शिफ्ट हुआ पीक लोड, AC तापमान सीमा का प्रस्ताव
रिपोर्ट के अनुसार, पीक लोड इस साल 270 गीगावाट तक पहुंच सकता है, जो साल-दर-साल 8% की वृद्धि है। हालांकि, यह पूरी तरह से बढ़ती उत्पादन क्षमता से पूरा कर लिया जाएगा। सरकार एयर कंडीशनर के तापमान को 20-28 डिग्री सेल्सियस के बीच रखने का प्रस्ताव बना रही है, जिससे 2035 तक पीक लोड में 60 GW की कमी लाई जा सकती है।
नवीकरणीय ऊर्जा में रिकॉर्ड वृद्धि
साल 2025 की पहली छमाही में सौर और पवन ऊर्जा से कुल उत्पादन 20% अधिक रहा।
- सोलर पीवी उत्पादन : 25% की बढ़ोतरी
- पवन ऊर्जा उत्पादन : 30% के करीब इजाफा
- जलविद्युत : 16% की वृद्धि
- न्यूक्लियर उत्पादन : 14% अधिक
मार्च 2025 में राजस्थान स्थित RAPP-7 यूनिट (700 मेगावाट) को उत्तरी ग्रिड से जोड़ा गया, और इसके जुड़वां RAPP-8 को अगले साल तक चालू करने की योजना है। भारत सरकार ने 2047 तक 100 GW न्यूक्लियर क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
कोयला और गैस आधारित उत्पादन में गिरावट
रिपोर्ट में बताया गया कि कोयले से बिजली उत्पादन पहली बार 2020 के बाद H1 में 3% घटा है, जबकि गैस आधारित उत्पादन 30% गिरकर 2023 के स्तर पर लौट आया। हालांकि, कोयला आधारित उत्पादन दूसरी छमाही में फिर से बढ़ेगा और 2025 में 0.5% तथा 2026 में 1.6% की वृद्धि दर्ज करेगा। गैस उत्पादन भी 2026 में 7% की वृद्धि के साथ वापसी करेगा।
उत्सर्जन तीव्रता में लगातार गिरावट
IEA के अनुसार, भारत की प्रति यूनिट उत्सर्जन तीव्रता में सालाना 3.8% की गिरावट आएगी। साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी भी तेजी से बढ़ रही है, जिससे कोयले पर निर्भरता कम हो रही है।
कम हुई थर्मल कोयले की कीमतें, बढ़ा उत्पादन
सीबोर्न थर्मल कोल की कीमतें चार साल के न्यूनतम स्तर पर हैं, जिससे कोयले से बिजली उत्पादन की लागत में कमी आई है। इसके अलावा, बढ़ती उत्पादन क्षमता ने बाजार में आपूर्ति को बेहतर किया है और बिजली की कीमतों पर दबाव बनाया है।
IEA का निष्कर्ष
आने वाले वर्षों में भारत में सतत बिजली विकास की राह तय की गई है। औद्योगिक गतिविधि और एयर कंडीशनर की बढ़ती मांग 2026 में 6.6% वृद्धि की संभावनाएं दिखा रही हैं। ऊर्जा क्षेत्र में न्यूक्लियर मिशन, AC स्टैंडर्ड्स और रिन्यूएबल पुश जैसे कदम भारत को एक स्वच्छ और भरोसेमंद ऊर्जा भविष्य की ओर ले जा रहे हैं।