Antidepressants For Infections and Sepsis: आमतौर पर एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का इस्तेमाल मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर जैसे डिप्रेशन और एंग्जाइटी के इलाज के लिए किया जाता है। लेकिन हाल ही में हुई एक नई स्टडी ने इन दवाओं की एक और अहम भूमिका सामने लाई है। साल्क इंस्टीट्यूट (Salk Institute) के वैज्ञानिकों ने पाया है कि एंटीडिप्रेसेंट दवाएं इम्यून सिस्टम को रेगुलेट करने और गंभीर इंफेक्शन तथा सेप्सिस से बचाव करने में सक्षम हैं। यह खोज भविष्य में संक्रामक रोगों के इलाज के लिए नई संभावनाएं खोल सकती है।
क्या कहती है स्टडी?
साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी के अनुसार, एंटीडिप्रेसेंट दवा फ्लुओक्सेटीन (Fluoxetine), जिसे प्रोज़ैक (Prozac) के नाम से भी जाना जाता है, न केवल डिप्रेशन को कम करती है बल्कि यह बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में भी मददगार साबित हो सकती है। यह दवा शरीर के टिशू और अंगों को इंफेक्शन से होने वाले नुकसान से बचाती है और सेप्सिस जैसी जानलेवा स्थिति को रोकने में मदद करती है।
चूहों पर किए गए प्रयोग
इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने बैक्टीरियल इंफेक्शन से ग्रसित चूहों पर प्रयोग किए। चूहों को दो समूहों में बांटा गया: एक समूह को फ्लुओक्सेटीन दवा दी गई, जबकि दूसरे समूह को यह दवा नहीं दी गई। नतीजे चौंकाने वाले थे। जिन चूहों को फ्लुओक्सेटीन दी गई, उनमें सेप्सिस, मल्टी-ऑर्गन डैमेज और मौत का खतरा काफी कम पाया गया।
कैसे काम करती है यह दवा?
फ्लुओक्सेटीन में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए गए, जो बैक्टीरिया के विकास को रोकते हैं। इसके अलावा, यह दवा शरीर में एंटी-इंफ्लेमेटरी मॉलिक्यूल IL-10 के स्तर को बढ़ाती है, जो इंफेक्शन से होने वाली सूजन और नुकसान को कम करता है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सही बना रहता है और इंफेक्शन के कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी आती है।
भविष्य के लिए नई संभावनाएं
इस स्टडी की प्रमुख शोधकर्ता और हावर्ड ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट की प्रोफेसर जेनेल आयर्स (Janelle Ayres) के अनुसार, “यह दवा एक साथ दो भूमिकाएं निभाती है। यह न केवल बैक्टीरिया और वायरस से लड़ती है बल्कि शरीर को इंफेक्शन से होने वाले नुकसान से भी बचाती है। यह खास तौर पर रोमांचक है क्योंकि यह दवा पहले से ही इंसानों में इस्तेमाल के लिए सुरक्षित मानी जाती है।”
क्या है सेप्सिस?
सेप्सिस एक गंभीर स्थिति है जो तब होती है जब शरीर का इम्यून सिस्टम इंफेक्शन के खिलाफ अत्यधिक प्रतिक्रिया करता है। इससे शरीर के अंग काम करना बंद कर सकते हैं और मृत्यु तक हो सकती है। सेप्सिस के इलाज के लिए अभी तक कोई विशिष्ट दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन इस स्टडी के नतीजे भविष्य में सेप्सिस के इलाज के लिए नई दवाओं के विकास का रास्ता खोल सकते हैं।
यह स्टडी न केवल एंटीडिप्रेसेंट दवाओं की नई संभावनाओं को उजागर करती है बल्कि भविष्य में संक्रामक रोगों और महामारियों से निपटने के लिए वैश्विक तैयारी को भी मजबूत करती है। हालांकि, अभी यह स्टडी चूहों पर की गई है और इंसानों पर इसके प्रभाव को जानने के लिए और शोध की आवश्यकता है।
नोट: यह जानकारी केवल शैक्षिक और जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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