पूड़ी भारत के ज्यादातर घरों में नाश्ते और खास मौकों पर बनाई जाती है। सुनहरी, फूली-फूली और स्वादिष्ट पूड़ी खाने में जितनी लाजवाब होती है, उतनी ही यह सेहत के लिए नुकसानदेह भी हो सकती है, खासकर जब यह मैदा से बनी हो और गहरे तेल में तली गई हो।

मैदा में पोषण की कमी

मैदा एक रिफाइंड आटा है, जिसमें फाइबर और जरूरी पोषक तत्व लगभग खत्म हो जाते हैं। यह शरीर को सिर्फ कैलोरी देता है, लेकिन कोई खास विटामिन या मिनरल नहीं पहुंचाता। लंबे समय तक मैदा का अधिक सेवन शरीर की पोषण ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पाता।

तेल में तलने से बढ़ती हानिकारकता

जब पूड़ी को तेल में डीप फ्राई किया जाता है, तो इसमें फैट की मात्रा काफी बढ़ जाती है। तलने के दौरान तेल कई बार गर्म होने से उसमें ट्रांस फैट बन सकते हैं, जो हृदय रोग के लिए खतरनाक माने जाते हैं।

वजन बढ़ने का खतरा

मैदा और तेल का मेल कैलोरी बम की तरह काम करता है। बार-बार और ज्यादा मात्रा में पूड़ी खाने से शरीर में अतिरिक्त फैट जमा होने लगता है, जिससे मोटापा बढ़ सकता है।

शुगर और हार्ट की बीमारी का खतरा

मैदा से बनी तली हुई चीजें ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ाती हैं। यह खासतौर पर डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदेह है। साथ ही, ज्यादा तेल और ट्रांस फैट का सेवन कोलेस्ट्रॉल बढ़ाकर हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ा सकता है।

पाचन संबंधी समस्याएं

तली हुई पूड़ी भारी होती है और इसे पचने में ज्यादा समय लगता है। यह पेट में गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है, खासकर उन लोगों में जिनका पाचन तंत्र कमजोर है।

स्वाद के लिए कभी-कभार पूड़ी खाना ठीक है, लेकिन इसे रोज़ाना या ज्यादा मात्रा में खाना सेहत के लिए सही नहीं है। बेहतर है कि मैदा की जगह गेहूं के आटे की पूड़ी खाएं और तेल की मात्रा कम रखें।

15 August 2025 | UP News | Uttar Pradesh Ki Taja Khabar | Samachar | CM Yogi | Akhilesh | Politics

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