Haryana. हरियाणा के जींद जिले के किसान पुत्र रविंद्र तोमर ने इस बार सावन की कांवड़ यात्रा को नशे के खिलाफ एक जनआंदोलन में बदल दिया है। देसी दूध और घी की ताकत से प्रेरित होकर वह 20 जून को पैदल यात्रा पर निकले, और 23 जुलाई को चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर गंगाजल समर्पित करेंगे।
इस यात्रा के माध्यम से रविंद्र युवाओं को नशे से दूर रहने का संदेश दे रहे हैं। उनका कहना है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 700 गांवों को नशामुक्त कर 700 शराब ठेके बंद करवाए हैं। यह कार्य प्रशंसा योग्य है और उसी को समर्पित यह यात्रा एक धन्यवाद यात्रा है।
बुग्गी यात्रा बनी प्रतीक
रविंद्र ने अपनी यात्रा के लिए बुग्गी का चयन जानबूझकर किया है, ताकि संदेश जाए कि असली ताकत दूध, दही और देसी घी में होती है, न कि केमिकल, स्टेरॉइड्स या नकली ताकत देने वाले उत्पादों में। उनका कहना है कि उन्होंने जीवन भर देसी खानपान को अपनाया और आज भी 12 घंटे की निरंतर पदयात्रा करने में सक्षम हैं।
हर दिन 40 किमी की पदयात्रा, हर मोड़ पर नशा मुक्त भारत का संदेश
कांवड़ यात्रा के दौरान वह प्रति दिन 35–40 किमी पैदल चलते हैं और रास्ते में युवाओं से संवाद कर उन्हें नशे से दूर रहने की प्रेरणा देते हैं। रविंद्र ने बताया कि वह पहलवान भी रहे हैं, लेकिन अब उनका असली मकसद समाज में जागरूकता फैलाना है।
“मौसम कोई भी हो – गर्मी, आंधी या बारिश – मेरा संकल्प डिगने वाला नहीं है, क्योंकि मेरी ताकत देसी घी से है।”
नशे के विरुद्ध रविंद्र का संदेश
रविंद्र तोमर ने मिलावटी ताकत बढ़ाने वाले प्रोडक्ट्स, दवाओं और इंजेक्शनों के खिलाफ चेताया और युवाओं से अपील की असली ताकत देसी दूध और घी से आती है, न कि किसी केमिकल से। शरीर को नुकसान देने वाले नशे और प्रलोभनों से दूर रहें। उनकी यह बुग्गी यात्रा एक आदर्श और प्रेरणादायक मिसाल बन रही है, जो न केवल धार्मिक आस्था बल्कि स्वास्थ्य, संयम और सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन चुकी है।