GST 2025. वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दरों को सरल और तर्कसंगत बनाने के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह (GoM) की महत्वपूर्ण बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। बैठक में चर्चा के दौरान टैक्स स्लैब को घटाकर केवल 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर सहमति बनी है।

केंद्र सरकार ने जीएसटी में बड़े पैमाने पर बदलाव का सुझाव दिया है, जिसमें मौजूदा चार दरें – 5%, 12%, 18% और 28% – समाप्त कर केवल दो दरें लागू करने का प्रस्ताव है। इसके तहत जरूरी वस्तुओं और आवश्यक सामान पर 5 प्रतिशत और अन्य सामान्य वस्तुओं पर 18 प्रतिशत टैक्स लगाने का सुझाव रखा गया है। वहीं, तंबाकू और पान मसाला जैसे हानिकारक सामानों पर 40 प्रतिशत की विशेष दर लागू की जा सकती है।

इस बदलाव का उद्देश्य आम आदमी, किसानों, मध्यम वर्ग और सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (MSMEs) को राहत देना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि दरों को युक्तिसंगत बनाने से टैक्स प्रणाली सरल, पारदर्शी और आसान होगी। इससे करदाताओं को समझने और पालन करने में आसानी होगी और अर्थव्यवस्था के विभिन्न हिस्सों में वित्तीय भार को संतुलित करने में मदद मिलेगी।

बैठक में क्या हुआ तय

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मंत्री समूह ने मौजूदा चार दरों वाले सिस्टम को बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। अब देश में लागू होने वाला नया सिस्टम दो दरों पर आधारित होगा।

वर्तमान में, जीएसटी में अलग-अलग वस्तुओं के लिए अलग-अलग दरें लागू हैं। खाद्य और जरूरी सामान पर 0 या 5 प्रतिशत, सामान्य वस्तुओं पर 12 और 18 प्रतिशत, और विलासिता एवं हानिकारक वस्तुओं पर 28 प्रतिशत के साथ-साथ अतिरिक्त उपकर भी लिया जाता है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि नए बदलाव से न केवल सिस्टम सरल होगा, बल्कि करदाताओं को राहत भी मिलेगी।

विशेष वस्तुओं के लिए उच्च दर

सिस्टम में बदलाव के बावजूद, हानिकारक वस्तुओं जैसे तंबाकू और पान मसाला पर उच्च दर 40 प्रतिशत लागू रखने का सुझाव दिया गया है। यह कदम स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए लिया गया है।

केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि जीएसटी प्रणाली सरल, पारदर्शी और करदाताओं के लिए सुलभ हो। नई दरें लागू होने के बाद छोटे व्यापारी और MSMEs अपने कर दायित्व को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे और प्रशासनिक जटिलताओं में कमी आएगी।

इस प्रस्तावित बदलाव को लागू करने के लिए आगे राज्यों और केंद्र के बीच अंतिम निर्णय लिया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह नया सिस्टम लागू होता है, तो भारतीय कर प्रणाली में यह एक बड़ा सुधार साबित हो सकता है और रोजमर्रा के सामान पर टैक्स का बोझ कम करने में मदद करेगा।

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