दीपावली के बाद हर साल कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस बार एक तिथि बढ़ने की वजह से गोवर्धन पूजा बुधवार को मनाई जाएगी। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस दिन भक्तजन गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाकर पूजा करते हैं और भगवान को अन्नकूट का भोग अर्पित करते हैं।

मिट्टी और सजावटी सामग्री की बढ़ी मांग

शहर में गोवर्धन पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं। मंदिरों से लेकर घरों तक भक्ति का माहौल है। बाजारों में गोबर, मिट्टी, फूल और सजावटी सामग्रियों की मांग बढ़ गई है। लोग इनसे गोवर्धन पर्वत की छोटी प्रतिकृतियां बनाकर पूजा की तैयारी कर रहे हैं।

घर-घर में बन रहे अन्नकूट के व्यंजन

महिलाएं अन्नकूट के लिए तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान तैयार कर रही हैं — खिचड़ी, पूड़ी, सब्जियां और मिठाइयां घरों में बननी शुरू हो चुकी हैं। शहर के प्रमुख मंदिरों जैसे श्रीखाटू श्याम मंदिर, इस्कॉन मंदिर आदि में विशेष सजावट की गई है। भक्ति संगीत, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी विशेष व्यवस्था की गई है।

भगवान कृष्ण की लीला का स्मरण

गोवर्धन पूजा उस दिव्य लीला की याद दिलाती है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था। यह पर्व प्रकृति, पर्यावरण और गौमाता के प्रति सम्मान का प्रतीक है। भक्त इस दिन गाय की पूजा करते हैं और अन्नकूट का भोग लगाकर समृद्धि, एकता और कृतज्ञता का संदेश देते हैं।

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