Maratha bastion in Tamil heartland:  भारतीय इतिहास के उस स्वर्णिम अध्याय को आखिरकार वैश्विक मान्यता मिल गई है, जिसे वर्षों तक इतिहास की किताबों में या तो नजरअंदाज किया गया या जानबूझकर दबाया गया.. मराठा साम्राज्य का उत्कर्ष। यूनेस्को ने छत्रपति शिवाजी महाराज की सैन्य रणनीति में अहम भूमिका निभाने वाले किलों को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है। इसमें शिवनेरी, रायगढ़, सिंधुदुर्ग जैसे महाराष्ट्र के किले शामिल हैं, लेकिन सबसे चौंकाने वाला नाम है… तमिलनाडु में स्थित जिंजी किला।

जिंजी किला: मराठों की शक्ति का दक्षिणी प्रतीक

कांचीपुरम से दो घंटे दक्षिण में स्थित यह किला “भारत का सबसे दुर्गम किला” माना जाता है। यह सिर्फ एक पहाड़ी किला नहीं, बल्कि तीन अलग-अलग पहाड़ियों पर बना एक त्रिकोणीय सुरक्षा किला है… राजगिरी, कृष्णगिरी और चंद्रायणदुर्ग। एक पहाड़ी पर हमला करने वाले शत्रु को दूसरी पहाड़ी से गोलाबारी का सामना करना पड़ता था।

जिंजी का इतिहास 9वीं शताब्दी के चोल शासकों से शुरू होता है और फिर यह किला कोन, कुरुम्बर, विजयनगर, बीजापुर, मराठा, मुगल, फ्रांसीसी, हैदर अली और अंततः अंग्रेजों के हाथों में जाता है।

राजाराम की शरणस्थली और औरंगज़ेब का संघर्ष

1689 में, जब औरंगज़ेब ने मराठा शक्ति को दबाने के लिए भीषण युद्ध छेड़ा, तब शिवाजी के पुत्र राजाराम ने जिंजी किले में शरण ली। औरंगज़ेब की सेना ने 7 वर्षों तक इस किले की घेराबंदी की लेकिन वह इसे सीधे नहीं जीत सकी। यह घेराबंदी भारतीय इतिहास के सबसे लंबे सैन्य अभियानों में से एक मानी जाती है।

जिंजी की स्थापत्य भव्यता

किले के भीतर सात मंज़िला कल्याण महल, एक प्राचीन मस्जिद, मंदिर, मंडप, किलेबंदी और बावड़ियाँ हैं। पहाड़ियों की ऊंचाई से नीचे फैले किले की झलक उस रणनीतिक क्षमता को दर्शाती है जो इसे अविजेय बनाती थी। राजा किले में रघुनाथ मंदिर, रानी किले में प्राचीन पवेलियन और चंद्रायणदुर्ग इस सैन्य त्रिकोण को पूर्ण करते हैं।

विरासत की नई पहचान

अब जब इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया है, तो यह न केवल मराठों की सैन्य ताकत की गवाही देता है, बल्कि भारत की बहु-आयामी ऐतिहासिक परंपरा को वैश्विक मंच पर सम्मानित करता है।

जिंजी किले की मान्यता सिर्फ एक इमारत का सम्मान नहीं है, बल्कि उस इतिहास की पुनर्स्थापना है, जिसे वर्षों तक अनदेखा किया गया। मराठा शौर्य और रणनीति की प्रतीक यह विरासत अब विश्व मानचित्र पर उभर चुकी है।

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