नई दिल्ली। हाल ही में संपन्न हुए G7 शिखर सम्मेलन में भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों की बहाली ने वैश्विक कूटनीति में एक निर्णायक मोड़ का संकेत दिया है। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि भारत अब एक “स्थिरकारी शक्ति” के रूप में उभर रहा है, जो खंडित होते वैश्विक परिदृश्य में संतुलन और संवाद को बढ़ावा दे रहा है।
राजनयिक शीतयुद्ध का अंत, संबंधों में नई ऊर्जा 2023 में उत्पन्न तनाव के बाद यह पहली बार था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के विशेष प्रतिनिधि मार्क कार्नी की मुलाकात G7 सम्मेलन के इतर हुई। यह सिर्फ संबंधों में नरमी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक पुनर्निर्धारण था। उच्चायुक्तों की बहाली, वरिष्ठ स्तर पर संवाद की पुनः शुरुआत, और स्वच्छ ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा व डिजिटल अवसंरचना में सहयोग—ये संकेत हैं कि दोनों देश अब ठोस साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं।
आतंकवाद के विरुद्ध स्पष्ट और वैश्विक संदेश भारत ने G7 मंच से स्पष्ट कहा—”आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई तेज की जाए और उसे समर्थन देने वालों पर सख्त कदम उठाए जाएं।” यह संदेश केवल दूरवर्ती संघर्ष क्षेत्रों तक सीमित नहीं था, बल्कि कनाडा में बढ़ती कट्टरपंथी गतिविधियों और प्रवासी चरमपंथ पर भी केंद्रित था। भारत ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद, किसी भी भूगोल या रूप में हो—वह संपूर्ण मानवता के लिए खतरा है।
खनिज सहयोग: रणनीतिक निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर भारत अभी भी लिथियम (70%) और बैटरी तकनीक (75%) के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर है। कनाडा के पास नैतिक खनन नीतियाँ, समृद्ध भंडार और रणनीतिक समानता है। 2023 में कनाडा के केवल 2% महत्वपूर्ण खनिज भारत पहुंचे, जबकि इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर के अनुसार, यह क्षमता C$589 मिलियन से अधिक है। भारत ने 41 महत्वपूर्ण खनिजों पर शून्य शुल्क की नीति लागू की है, जिससे दोनों देश एक “मिनरल कॉरिडोर” की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
डिजिटल अवसंरचना और एआई पर वैश्विक समन्वय आर्थिक सहयोग से परे, भारत और कनाडा के बीच डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी गहन संवाद हुआ। भारत की डिजिटल पब्लिक गुड्स मॉडल और नैतिक AI नीति को G7 मंच पर न केवल सराहा गया, बल्कि उसे अपनाने की इच्छा भी जताई गई।
सिख समुदाय पर स्पष्ट लेकिन संतुलित दृष्टिकोण भारत ने सिख समुदाय के योगदान को पुनः मान्यता दी, वहीं कट्टरपंथ को साफ तौर पर अस्वीकार किया। यह संदेश वैश्विक स्तर पर यह स्पष्ट करता है कि भारत हिंसा का विरोध करता है, लेकिन किसी भी समुदाय को कलंकित नहीं करता।
वैश्विक दक्षिण की आवाज बना भारत मोदी ने विकासशील देशों के लिए हरित तकनीकों तक समान पहुंच, ऋण राहत, और समावेशी जलवायु नीति की मांग की। भारत अब उत्तर और दक्षिण के बीच की खाई को पाटने वाला एक व्यावहारिक पुल बन गया है—जो वैश्विक नेतृत्व की जिम्मेदारी को निभा रहा है और विकासशील देशों की आकांक्षाओं को भी समझता है।
निष्कर्ष: ट्रम्प के अचानक प्रस्थान और ईरान-इज़राइल संघर्ष की सुर्खियों के बीच, भारत ने G7 सम्मेलन में नैतिक स्पष्टता और रणनीतिक दृष्टिकोण का उदाहरण प्रस्तुत किया। यह सिर्फ एक राजनयिक क्षण नहीं था, बल्कि एक वैश्विक सहयोग की नींव थी—जो स्पष्टता, साहस और साझा उद्देश्य पर आधारित है।