भारत में बिजली ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन (T&D) के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए हो रहे तेज़ निवेश से ट्रांसफार्मर की मांग में जबरदस्त उछाल आ सकता है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025–26 तक भारत में ट्रांसफार्मर की बिक्री का आंकड़ा ₹40,000 करोड़ को पार कर सकता है।

पिछले साल इस सेक्टर की बिक्री ₹33,000 करोड़ के आसपास रही थी। रिपोर्ट का कहना है कि इस कारोबार में हर साल 10 से 11 प्रतिशत की रफ्तार से ग्रोथ हो रही है।

क्यों बढ़ रही है ट्रांसफार्मर की मांग?

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत सरकार की राष्ट्रीय बिजली योजना (National Electricity Plan) के तहत FY27 तक ट्रांसफार्मर की कुल क्षमता को 1.8 मिलियन एमवीए (MVA) तक ले जाने का लक्ष्य है। फिलहाल करीब 30% लक्ष्य ही पूरा हो पाया है, यानी आने वाले दो वर्षों में भारी काम बाकी है।

इसके अलावा, देशभर में बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर अब 25 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं, जिन्हें जल्द बदला जाना है। ऐसे में नए ट्रांसफार्मर की जरूरत तेजी से बढ़ेगी।

₹75,000 करोड़ तक का बाजार तैयार

क्रिसिल का कहना है कि ट्रांसफार्मर इंडस्ट्री के सामने अगले 18 से 24 महीनों में करीब ₹70,000 से ₹75,000 करोड़ तक का व्यापारिक अवसर होगा। हालांकि कंपनियों को इस मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त पूंजी और वर्किंग कैपिटल की जरूरत होगी।

फिर भी, रिपोर्ट में साफ किया गया है कि अधिकतर कंपनियों की वित्तीय स्थिति मजबूत है, और इनकी बैलेंस शीट उन्हें इस विस्तार के लिए सक्षम बनाती है।

कौन हैं प्रमुख खिलाड़ी?

क्रिसिल ने जिन 21 बड़ी कंपनियों को रेट किया है, वे भारत के ट्रांसफार्मर बाजार का लगभग एक-तिहाई हिस्सा नियंत्रित करती हैं। इन कंपनियों को सबसे बड़ा फायदा इस वृद्धि से होने वाला है।

भारत की बिजली ज़रूरतों को पूरा करने और ग्रिड को आधुनिक बनाने के लिए T&D सेक्टर में जो निवेश हो रहा है, वह ट्रांसफार्मर कंपनियों के लिए सुनहरा अवसर लेकर आया है। आने वाले 2 वर्षों में यह सेक्टर तेज़ी से विस्तार करेगा और इसके साथ-साथ बड़ी संख्या में नौकरियों, उत्पादन और निवेश के नए रास्ते भी खुलेंगे।

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