नई दिल्ली। वेल्थ मैनेजमेंट फर्म Equirus की एक ताज़ा रिपोर्ट ने भारत की संरचनात्मक आर्थिक मजबूती को रेखांकित करते हुए कहा है कि आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक गति G7 देशों को पीछे छोड़ने वाली है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ग्लोबल कैपिटल अब भारत की बदलती आर्थिक तस्वीर को नजरअंदाज नहीं कर सकता।

Equirus Credence Family Office के CEO मितेश शाह ने इसे “वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक भूकंपीय बदलाव” करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत अब सिर्फ कागजों पर सबसे तेज़ बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था नहीं है, बल्कि संरचनात्मक रूप से G7 देशों से बेहतर स्थिति में है। शाह के अनुसार 2025 से 2030 के बीच भारत वैश्विक GDP वृद्धि में 15% से अधिक का योगदान देगा, जबकि पारंपरिक वैश्विक निवेश रणनीतियाँ कमजोर होती जा रही हैं।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स, सरकार की ओर से 17.4% की पूंजीगत व्यय वृद्धि, और ग्रामीण मांग में उछाल भारत की आर्थिक रफ्तार को शक्ति दे रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में FMCG उपभोग 6% बढ़ा है, जबकि शहरी इलाकों में यह सिर्फ 2.8% रहा।
₹2.5 लाख करोड़ की लिक्विडिटी इन्फ्यूजन, और ग्रामीण-शहरी व्यय अंतर जो 10 साल में 84% से घटकर 70% रह गया है, यह खपत-आधारित रिकवरी को दर्शाता है।
पारंपरिक 60/40 निवेश पोर्टफोलियो रणनीति (60% इक्विटी, 40% बॉन्ड्स) पर सवाल उठाते हुए रिपोर्ट कहती है कि भू-राजनीतिक रूप से फैले हुए, डायनामिक निवेश दृष्टिकोण अब ज़रूरी हैं।

वैश्विक संदर्भ में भारत की स्थिति:

डॉलर इंडेक्स (DXY) में 2025 की चोटी से 6% गिरावट, और कच्चे तेल की कीमतें $70 प्रति बैरल के आसपास स्थिर, जिससे भारत के आयात भार में राहत।
‘चाइना +1’ रणनीति के तहत, Apple जैसी कंपनियाँ भारत में मैन्युफैक्चरिंग स्थानांतरित कर रही हैं, जिससे भारत को कम लागत, कम एट्रिशन रेट और मजबूत रणनीतिक स्थितियों का लाभ मिल रहा है।

चुनाव बाद का आर्थिक दृष्टिकोण:

केंद्र और राज्य सरकारों की अगुवाई में कैपेक्स बूस्ट, CRR कटौती के ज़रिए लिक्विडिटी सपोर्ट, और विनिर्माण सेक्टर में संरचनात्मक बदलाव, भारत को वैश्विक मंदी के बीच तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्था बना रहे हैं।

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