Manjhi in Rajya Sabha: राज्यसभा में एक अहम जानकारी साझा करते हुए केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी ने बताया कि वर्ष 2014 से अब तक देश में 34 करोड़ से अधिक लोगों को MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र में रोजगार मिला है। यह आंकड़ा उद्यम पोर्टल और उद्यम असिस्ट पोर्टल पर दर्ज डाटा के आधार पर प्रस्तुत किया गया।
MSME बना रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत
मंत्री मांझी ने बताया कि एमएसएमई क्षेत्र ने 28 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराया, जबकि करीब 6 करोड़ लोगों ने खुद की इकाई शुरू करके अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन में योगदान दिया।
उन्होंने कहा कि “सरकार ने रोजगार के नए अवसरों को बढ़ावा देने के लिए MSME क्षेत्र को पूरी तरह से सशक्त किया है, जिसमें वित्तीय सहायता, स्किल डेवलपमेंट, डिजिटल प्लेटफॉर्म और नई योजनाओं का बड़ा योगदान है।”
MSME क्षेत्र के रोजगार से जुड़े कुछ अहम आंकड़े
- कुल रोजगार (2014–2025): 34 करोड़+
- प्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाने वाले: 28 करोड़
- स्वरोजगार/उद्यमी बनने वाले: 6 करोड़
- प्रमुख पोर्टल: उद्यम पोर्टल, उद्यम असिस्ट पोर्टल
किन योजनाओं से मिला लोगों को लाभ?
मंत्री ने बताया कि सरकार की PM Vishwakarma योजना, MUDRA योजना, स्टार्टअप इंडिया, और उद्यम पोर्टल जैसी पहलों ने छोटे व्यापारियों, शिल्पकारों, कारीगरों, महिलाओं और युवाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है। “हमारा लक्ष्य न केवल रोजगार देना है, बल्कि लोगों को रोजगार निर्माता बनाना भी है।”
राज्यों का योगदान
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में MSME सेक्टर ने सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध कराए। ये राज्य न केवल उद्योगों का गढ़ बने हैं, बल्कि वहां स्किल ट्रेनिंग और लोन स्कीम्स का लाभ भी बड़ी संख्या में मिला है।
MSME क्षेत्र, जिसे भारत की अर्थव्यवस्था की “रीढ़ की हड्डी” कहा जाता है, ने बीते 10 वर्षों में रोजगार सृजन के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन आंकड़ों की ज़मीनी सच्चाई का आकलन करना जरूरी है… क्या ये नौकरियां स्थायी हैं? क्या आय पर्याप्त है? ये सवाल आगे और बहस को जन्म दे सकते हैं।