धनतेरस का पर्व दीपावली की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन धन और समृद्धि के देवता भगवान कुबेर की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान कुबेर की दिशा उत्तर मानी गई है। इसलिए धनतेरस के दिन घर की नकदी और गहनों को उत्तर दिशा में रखने से धन में स्थायी वृद्धि होती है।
इसके अलावा, मां लक्ष्मी का ऐसा चित्र लगाना शुभ माना गया है जिसमें वे कमल के फूल पर विराजमान होकर धनवर्षा कर रही हों और दोनों ओर हाथी खड़े हों। ऐसा चित्र घर में लगाने से आर्थिक समृद्धि बढ़ती है। साथ ही, झाड़ू को भी शुभ प्रतीक माना गया है यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता लाती है। इसलिए धनतेरस पर नई झाड़ू खरीदना भी शुभ होता है।
धनतेरस के दिन चांदी या किसी धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा भी प्रचलित है। मान्यता है कि ऐसा करने से मानसिक शांति और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
धनतेरस पर रंगोली बनाने की भी परंपरा है। इस दिन लोग कमल, स्वस्तिक, दीपक और “शुभ-लाभ” जैसे पारंपरिक डिजाइन बनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि घर के मुख्य द्वार या पूजन स्थल पर रंगोली बनाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में शांति व समृद्धि आती है।
धनतेरस पर यम का दीया कब और कैसे जलाएं?
धनतेरस के दिन 13 दीपक जलाने का विधान है। इनमें से एक दीपक यमदेव के नाम से विशेष रूप से जलाया जाता है। इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। यम का दीया चार बाती वाला चौमुखा दीया होना चाहिए और इसे सरसों के तेल से जलाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और घर में शांति बनी रहती है।
धनतेरस पर सोना खरीदने का महत्व
धनतेरस पर सोना खरीदना सिर्फ शुभ परंपरा नहीं, बल्कि इसका गहरा धार्मिक संबंध भी है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन मां लक्ष्मी समुद्र से प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन सोना या कीमती धातु खरीदना मां लक्ष्मी का स्वागत माना जाता है। यह घर में धन और सुख-समृद्धि के आगमन का प्रतीक है।