ब्रह्मोस मिसाइल, जिसे दुनिया की सबसे शक्तिशाली सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक माना जाता है, भारतीय रक्षा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसकी ताकत और सटीकता ने इसे वैश्विक स्तर पर प्रमुख बनाते हुए भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

ब्रह्मोस की विशेषताएँ

  • सुपरसोनिक गति: ब्रह्मोस मिसाइल ध्वनि की गति से लगभग 2.8–3 गुना तेज गति से उड़ान भर सकती है, जिससे यह किसी भी प्रतिद्वंद्वी से काफी आगे निकल जाती है।
  • बहु-उपयोगिता: इसे जमीन, पानी और हवा से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे यह विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
  • सटीकता: ब्रह्मोस में मार्ग को बदलने की क्षमता है और यह गतिशील लक्ष्यों को भी पूरी सटीकता से भेदने की क्षमता रखती है।
  • फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक: एक बार लॉन्च होने के बाद, यह बिना किसी अतिरिक्त इनपुट के लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
  • रेंज: इसकी प्रारंभिक रेंज लगभग 290 किमी है, जबकि अपग्रेडेड वर्जन 400-500 किमी तक और नवीनतम संस्करण 800 किमी तक की दूरी तय कर सकते हैं।
  • स्टेल्थ क्षमता: ब्रह्मोस में स्टेल्थ गुण हैं, जिससे यह शत्रु राडार से बचते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंच सकती है।
  • कृपणता: इसे पारंपरिक या न्यूक्लियर प्रकार के 200-300 किग्रा तक के वारहेड से लैस किया जा सकता है।

ब्रह्मोस: एक रक्षा क्रांति

भारत के रक्षा क्षेत्र में ब्रह्मोस का योगदान अनमोल है। इसकी विकास प्रक्रिया में भारत ने अपनी तकनीकी क्षमताओं को प्रदर्शित किया है और आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में ब्रह्मोस यूनिट का स्थापित होना, भारत के सैन्य और तकनीकी क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक पल है। इससे न केवल रक्षा क्षेत्र को मजबूती मिलेगी, बल्कि रोजगार और तकनीकी शोध में भी गति आएगी।

ब्रह्मोस मिसाइल भारत के रक्षा क्षेत्र की एक बड़ी उपलब्धि है और यह मिसाइल अपने उच्चतम मानकों के साथ वैश्विक स्तर पर भारतीय सैन्य क्षमताओं को न केवल बढ़ा रही है बल्कि भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता की ओर भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

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