Birthday Special: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा और दमदार ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले ब्रजेश पाठक आज 61 साल के हो गए हैं। पेशे से अधिवक्ता, और राजनीति में जनसेवा के मजबूत स्तंभ बन चुके पाठक का जन्म 25 जून 1964 को उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मल्लावां कस्बे में हुआ था।

आज उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं कि कैसे एक छात्र नेता ने अपनी मेहनत, जुझारूपन और मजबूत फैसलों के दम पर यूपी के उपमुख्यमंत्री तक का सफर तय किया।

छात्र राजनीति से रखी सियासत की नींव

ब्रजेश पाठक ने लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और 1989 में छात्रसंघ के उपाध्यक्ष और 1990 में अध्यक्ष बने। यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई। 2002 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा, हालांकि वो हार गए।

बसपा से सांसद और मायावती सरकार में अहम भूमिका

2004 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बसपा का दामन थामा और उन्नाव से सांसद बने। मायावती सरकार में उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया और सदन में उपनेता व मुख्य सचेतक जैसी अहम जिम्मेदारियाँ भी मिलीं। उनकी पत्नी नम्रता पाठक भी इस दौर में राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष बनीं।

बीजेपी में नई शुरुआत और उपमुख्यमंत्री तक का सफर

2016 में ब्रजेश पाठक ने बसपा को अलविदा कहा और बीजेपी में शामिल हो गए। 2017 में लखनऊ सेंट्रल से चुनाव जीता और योगी सरकार में कानून मंत्री बने। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग संभाल रहे हैं।

निजी जीवन की झलक

ब्रजेश पाठक के पिता का नाम सुरेश पाठक था। उनकी पत्नी नम्रता पाठक और तीन बच्चे हैं। अपने विनम्र स्वभाव, कानूनी समझ और मजबूत प्रशासनिक पकड़ के कारण उन्हें यूपी बीजेपी का एक भरोसेमंद चेहरा माना जाता है। राजनीति में चाहे जितने उतार-चढ़ाव आए हों, ब्रजेश पाठक ने कभी मैदान नहीं छोड़ा — और यही बनाता है उन्हें एक प्रेरणा।

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