वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में P.hd में प्रवेश को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अनियमितताओं की वजह से लगातार छात्र धरने पर बैठ रहे है। विगत दिनों जहां एक तहफ दलित छात्र शिवम् सोनकर के एडमिशन का विवाद अभी शांत ही हुआ कि एक और विवाद सामने आ गया। BHU में पीएचडी में प्रवेश प्रक्रिया के दौरान गड़बड़ी का आरोप लगा एक छात्रा सेंट्रल ऑफिस के बाहर अकेले धरने पर बैठ गई। छात्रा अर्चिता सिंह ने विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों पर अपने चेहते छात्र को एडमिशन देने के लिए जानबूझकर उसका प्रवेश रोकने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में विभागों का चक्कर लगाने के बाद थक हार कर वह धरने पर बैठ गई। वही इस मामले को लेकर करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी ने छात्रा से मुलाकात कर उसकी मदद करने का आश्वासन दिया और विश्वविद्यालय प्रशासन को 24 घंटे के अंदर छात्रा को न्याय न देने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी। करणी सेना के द्वारा आंदोलन की चेतावनी दिए जाने से विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट में हड़कंप मच गया है।

छात्रा के साथ न्याय न होने पर बनारस में होगा आगरा से बड़ा आंदोलन, करणी सेना के ऐलान से मचा हड़कंप …

EWS के तहत बीएचयू में हिंदी विभाग में पीएचडी में प्रवेश में छात्रा के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर शुक्रवार को करणी सेना ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से वार्ता किया। इस दौरान करणी सेना के अध्यक्ष ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दिया कि यदि 24 घंटे में छात्रा अर्चिता के साथ न्याय नहीं हुआ तो प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश से करणी सेना के कार्यकर्ता वाराणसी के लिए कूंच कर आगरा से भी बड़ा आंदोलन करेंगे। बता दें कि धरने पर बैठी छात्रा का आरोप है, कि एडमिशन प्रक्रिया में उसने EWS का सर्टिफिकेट पूरना लगाया था और उसे नए सर्टिफिकेट को जमा करने के लिए 29 मार्च को सर्टिफिकेट की हार्डकॉपी विभाग में जमा किया गया और ई मेल के माध्यम से भी भेजा गया। इसके बाद भी अब विभाग के कुछ प्रोफेसर जबरदस्ती नियमों में फेरबदल कर अपने चेहते राजनैतिक पृष्ठभूमि वाले छात्र को एडमिशन देने की तैयारी में है।

अकेले छात्रा के धरने पर बैठना बना चर्चा का विषय, सोशल मीडिया से छिड़ी BHU में प्रोफेसरों के मनमानी पर बहस…

छात्रा अर्चिता ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि धरने पर बैठने के बाद विभागाध्यक्ष सहित कई विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने उनसे मुलाकात की। विभाग से उन्हें जानकारी दिया गया कि नए EWS सर्टिफिकेट को जमा करने के लिए अंडरटेकिंग या कोई शपथ पत्र देने का नियम नहीं है। छात्रा ने ऐसे में कहा कि यदि नियम नहीं है,तो उन्हें इस बात की पूर्व में सूचना क्यों नहीं दिया गया। इंटरव्यू और सर्टिफिकेट के वैरिफिकेशन के बाद अब जब नए EWS का सर्टिफिकेट भी जमा कर दिया गया, तो अब क्यों इसे लेकर नियम न होने की बात कही जा रही है। जबकि अंडरटेकिंग और शपथ पत्र देकर कई छात्रों ने प्रमाण पत्र जमा करने का समय लिया और एडमिशन लिया है। छात्रा ने बताया कि विभाग के द्वारा किए जा रहे भेदभाव की जानकारी पीएमओ, शिक्षा मंत्रालय, महिला आयोग के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन से किया गया है। ऐसे में अब जब तक उसे एडमिशन नहीं मिलता तब तक वह धरने पर बैठी रहेगी।

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