लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयकर विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। प्रसिद्ध BBD ग्रुप पर शिकंजा कसते हुए विभाग ने बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम के तहत करीब 100 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को जब्त कर लिया है। जब्त की गई संपत्तियों में अयोध्या रोड के आसपास की कई अहम ज़मीनें शामिल हैं, जिनका मालिकाना हक़ कागजों में BBD ग्रुप के दलित कर्मचारियों के नाम पर दिखाया गया था।
दलित कर्मचारियों के नाम पर खरीदी गई जमीनें
आयकर विभाग की जांच में सामने आया कि 2005 से 2015 के बीच लखनऊ के उत्तरधौना, जुग्गौर, टेराखास, सरायशेख और सेमरा गांवों में लगभग 8 हेक्टेयर ज़मीन खरीदी गई थी। ये सारी ज़मीनें BBD ग्रुप के दलित कर्मचारियों के नाम रजिस्टर्ड की गई थीं। जबकि असली मालिकाना हक़ BBD ग्रुप की मुखिया अलका दास और उनके बेटे विराज सागर दास का था।
दो कंपनियों के नाम पर दर्ज थीं संपत्तियां
जब्त की गई संपत्तियां विराज इंफ्राटाउन प्राइवेट लिमिटेड और हाईटेक प्रोटेक्शन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर दर्ज थीं। अयोध्या रोड जैसे प्रमुख विकासशील क्षेत्रों में स्थित इन भूखंडों पर इस वक्त बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य भी चल रहा है, जो BBD ग्रुप की विभिन्न परियोजनाओं से जुड़ा बताया जा रहा है।
बेनामी निषेध इकाई की बड़ी कार्रवाई
बेनामी निषेध इकाई ने इस कार्रवाई से पहले महीनों तक गहन जांच की और जरूरी दस्तावेज व साक्ष्य जुटाए। जांच में यह साफ हुआ कि संपत्तियां जिन व्यक्तियों के नाम दर्ज थीं, उनकी आमदनी इतनी नहीं थी कि वे इस तरह की महंगी संपत्तियां खरीद सकें। इसी आधार पर आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम, 1988 के तहत संपत्तियों को जब्त किया।
आगे की कार्रवाई की तैयारी
आयकर विभाग अब इस मामले में अन्य संबंधित दस्तावेज़ और लेन-देन की गहराई से जांच कर रहा है। संभावना है कि इस केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी शामिल हो सकता है, और मनी लॉन्ड्रिंग ऐंगल से जांच आगे बढ़ाई जा सकती है।