Shubhanshu Shukla Earth Return: देश के लिए यह एक ऐतिहासिक और भावनात्मक पल था जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से सफलतापूर्वक लौट आए। अंतरिक्ष में 18 दिन बिताने के बाद उन्होंने आज दोपहर करीब 3:00 बजे (IST) पृथ्वी पर सॉफ्ट लैंडिंग (स्प्लैशडाउन) की।
जैसे ही उनका स्पेस कैप्सूल अटलांटिक महासागर में उतरा, पूरे भारत ने राहत की सांस ली। उनके माता-पिता और बहन की आंखों से खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। “हर पल गिना हमने… वो भी सांस रोककर,” ये कहना था उनके पिता का।
कैसे हुई वापसी?
शुभांशु और उनकी टीम ने स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल से ISS से अनडॉकिंग की। यह प्रक्रिया 14 जुलाई को शाम 4:35 बजे शुरू हुई थी। इसके बाद स्पेसक्राफ्ट ने पृथ्वी की ओर करीब 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से यात्रा की। जैसे ही कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल हुआ, उसके बाहरी हिस्से पर हीट शील्ड का इम्पैक्ट दिखा – तापमान हजारों डिग्री तक पहुंच गया।
फिर, लैंडिंग से ठीक पहले, पैराशूट्स खुले और गति को नियंत्रित कर के स्प्लैशडाउन कराया गया।स्पेसएक्स की रिकवरी टीम ने तुरंत कैप्सूल को समुद्र से निकाला और एक-एक कर सभी अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

शुभांशु ने अंतरिक्ष में क्या किया?
शुभांशु ने ISS पर 60 से ज़्यादा वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें से 7 भारत के और 5 नासा के प्रमुख प्रयोग थे। खासकर उन्होंने मूंग और मेथी के बीज अंतरिक्ष में उगाए… एक ऐसा प्रयोग जो भविष्य में चंद्रमा या मंगल पर खेती के रास्ते खोल सकता है। वे अपने साथ 263 किलो डेटा और साइंटिफिक सैंपल लेकर लौटे हैं, जो भारत के विज्ञान के लिए एक खजाना साबित होगा।
परिवार का इंतजार और भावुकता
उनकी बहन ने कहा, “भाई जब अंतरिक्ष में थे, तो हम हर दिन सूरज की तरफ देखते थे… और सोचते थे, वहीं कहीं तो हैं।”
उनकी मां ने भावुक होते हुए कहा, “हम हर दिन टीवी पर ISS की लाइव फीड देखते थे। वो चल भी रहे थे, तैर भी रहे थे, और हमारी आंखों में बस मुस्कान आ जाती थी। लेकिन एक डर भी था – वापसी सुरक्षित हो, बस यही दुआ करते थे।”
वापसी के बाद क्या होगा?
धरती पर वापसी के बाद शुभांशु को रीहैबिलिटेशन और मेडिकल टेस्ट्स से गुजरना होगा। अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के कारण शरीर की मांसपेशियों और हड्डियों पर असर पड़ता है, जिसे रिकवर करना होता है।
इसके बाद वे अपने स्पेस मिशन का डेटा भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों और ISRO के साथ साझा करेंगे। यह जानकारी भारत के गगनयान मिशन और भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए अमूल्य होगी।
भारत के लिए कितना खास हैं ये मिशन?
यह मिशन भारत की वैज्ञानिक ताकत, आत्मनिर्भरता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है। शुभांशु भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने जिन्होंने ISS पर कदम रखा, और पहले भारतीय हैं जिन्होंने इतनी बड़ी मात्रा में प्रयोग किए।
भारत सरकार ने इस मिशन पर 550 करोड़ रुपये का निवेश किया – यह एक संकेत है कि भारत अब सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान की दौड़ में अग्रणी खिलाड़ी बन चुका है।
अब अंतरिक्ष भी हमारा है…
शुभांशु शुक्ला की वापसी सिर्फ एक वैज्ञानिक सफलता नहीं, बल्कि हर भारतीय के दिल की जीत है। उनकी यात्रा ने न केवल हमारी तकनीकी क्षमताओं को साबित किया, बल्कि लाखों युवाओं को यह सपना दिखाया कि “आसमान ही नहीं, अब अंतरिक्ष भी हमारा है।”