Atomic Submarine Power: 21 वीं सदी के आते- आते दुनिया के कई ऐसे देश हैं…जो अपने आप को महाशक्तिमान मानते है….और उनके पास एक से एक मिसाइल और टेक्नोलॉजी है…पर वो उस टेक्नोलॉजी का किस तरीके से इस्तेमाल करते हैं…ये काफी ज्यादा देखने वाली बात होगी…..

दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप जबसे अमेरिका के राष्ट्रपति दोबारा बने हैं, वे अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में आक्रामक नीति अपना रहे हैं. अपने पुराने सहयोगियों से भी उनका टकराव बढ़ता जा रहा है. हाल ही में उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड इकोनॉमी’ करार दिया था. अब भारत और रूस की दोस्ती को लेकर नाराज अमेरिका ने रूस के आसपास दो परमाणु पनडुब्बियां तैनात करने का ऐलान कर दिया है, जिससे वैश्विक तनाव और बढ़ गया है.

चलिए अब आपको बतातें कि परमाणु पनडुब्बी क्या होती है?जिसको लेकर ट्रंप ने इतनी बड़ी बात बोल दी…खैर देश के नेता वो या इंटरनेशनल नेता हो….हर कोई बड़े-बड़े बयान देने से पीछे नहीं रह रहे हैं….

कई लोग यह समझते हैं कि परमाणु पनडुब्बी यानी परमाणु बम से लैस जहाज, जबकि असलियत इससे थोड़ी अलग है. परमाणु पनडुब्बी का मतलब है ऐसी पनडुब्बी जो डीजल या बैटरी की जगह परमाणु ऊर्जा से चलती है. इसमें लगे परमाणु रिएक्टर से इसे लंबी दूरी और समय तक समुद्र में बिना सतह पर आए संचालन की ताकत मिलती है. कुछ परमाणु पनडुब्बियां परमाणु हथियारों से भी लैस हो सकती हैं, लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि हर परमाणु पनडुब्बी में हथियार हों.

दुनिया के पास कितनी परमाणु पनडुब्बियां?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा 68 परमाणु पनडुब्बियां अमेरिका के पास हैं. इसके बाद रूस 29 परमाणु पनडुब्बियों के साथ दूसरे स्थान पर है. चीन के पास 12, ब्रिटेन के पास 11, फ्रांस के पास 8 और भारत के पास फिलहाल सिर्फ 1 परमाणु पनडुब्बी है.

अमेरिका की परमाणु पनडुब्बियों की ताकत
अमेरिका की सबसे ताकतवर परमाणु पनडुब्बियां ओहायो क्लास बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां हैं. इनमें से 14 ओहायो क्लास एसएसबीएन पनडुब्बियां हैं जो 24 ट्राइडेंट II डी5 मिसाइलों से लैस होती हैं. ये पनडुब्बियां महीनों तक समुद्र के भीतर बिना सतह पर आए गश्त कर सकती हैं.

इसके अलावा अमेरिका के पास 24 वर्जीनिया क्लास एसएसएन पनडुब्बियां भी हैं जिनमें अत्याधुनिक तकनीक मौजूद है. इनका इस्तेमाल खुफिया ऑपरेशन और तटीय निगरानी के लिए होता है. अमेरिका के पास 3 सीवूल्फ क्लास की पनडुब्बियां भी हैं जो ज्यादा हथियार ले जाने में सक्षम हैं.

अमेरिका के पास अब भी 24 एंजेलिस क्लास की पनडुब्बियां सेवा में हैं, जिनका निर्माण खासतौर पर 1976 में सोवियत संघ के खतरे को ध्यान में रखकर किया गया था.

रूस के पास भले ही अमेरिका की तुलना में कम परमाणु पनडुब्बियां हों, लेकिन दोनों देशों की सामरिक ताकत और परमाणु रणनीतियां दुनिया के लिए चिंता का कारण बन रही हैं. ट्रंप के हालिया फैसले ने एक बार फिर वैश्विक संतुलन को हिला दिया है और भारत जैसे देशों को नए कूटनीतिक दबावों का सामना करना पड़ सकता है.

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