Ramji Lal Suman Convoy Attack: अलीगढ़ में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर हाल ही में करणी सेना के कुछ कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए करणी सेना के जिला संयोजक कृष्णा ठाकुर, सुधीर सिंह, भूपेंद्र सिंह, सचिन सिंह, और सुमित सिंह को गिरफ्तार किया।

पुलिस और प्रशासन पर दबाव

लेकिन यह पूरी घटना भी उसी पुरानी कहानी की तरह सामने आई, जहां आरोपी पकड़ने के बाद जल्द ही जमानत पर रिहा हो जाते हैं। पुलिस ने इन्हें शांति भंग जैसी सामान्य धाराओं में गिरफ्तार किया, जो सजा से ज्यादा एक चेतावनी की तरह होती है। इन धाराओं के तहत तो गिरफ्तारी होती है, लेकिन जल्दी ही जमानत मिल जाती है और आरोपी छूट जाते हैं।

सिस्टम पर उठे सवाल

अब सवाल यह उठता है कि जब सांसद के काफिले पर हमला हुआ, तो क्या यह सामान्य घटना है? क्या इसे हल्के आरोपों में दर्ज करना सही था? हमले का मामला गंभीर था, फिर भी आरोपी इतनी जल्दी रिहा हो गए। इससे यह भी साफ होता है कि हमारे सिस्टम में कभी-कभी गंभीर मामलों को भी हल्के तौर पर लिया जाता है।

घटना के बाद इलाके में थोड़ा तनाव जरूर था, लेकिन पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने स्थिति को काबू में किया। फिर भी आरोपियों की रिहाई ने यह सोचने पर मजबूर किया कि क्या इस मामले में सजा का रास्ता इतना आसान होना चाहिए था।

गिरफ्तारी के बाद क्यों मिली झटपट जमानत?

इस घटना से पूरे प्रदेश में सवाल उठ रहे हैं कि अगर किसी सांसद के काफिले पर हमला हो सकता है और आरोपियों को इतनी जल्दी जमानत मिल जाती है, तो आम जनता के साथ क्या होता होगा? क्या ये है आपका ‘न्याय व्यवस्था’ का गेम!….गिरफ्तारी का DRAMA… फिर जमानत का TREND!….आरोपी VIP नहीं, फिर भी केस WEAK क्यों?…. क्या ये ‘सियासी दबाव’ का नतीजा है या फिर पुलिस की लचर पेशकारी? ऐसे ना जाने कितने सवाल उठ रहे हैं।

"यह मुगलों की नाजायज औलाद हैं, इनके साथ तो...", रामजीलाल पर हुए हमले को लेकर बोले Raghuraj Singh

शेयर करना
Exit mobile version