Lucknow : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता ‘शिवपाल सिंह यादव’ ने हाल ही में भारत समाचार के एडिटर-इन-चीफ ब्रजेश मिश्रा के साथ अपने पॉडकास्ट में 2022 की सपा पारिवारिक कलह और उस समय के राजनीतिक घटनाक्रम पर अहम खुलासे किए।

शिवपाल यादव ने बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव हारने और नेताजी की गैर-मौजूदगी के बाद पार्टी में तनाव, पारिवारिक कलह और अंदरूनी मतभेद बढ़ गए थे। पॉडकास्ट में ब्रजेश मिश्रा ने उनसे सवाल किया कि चुनाव हारने और नेताजी के ना रहने के बाद क्या आपको लगा कि अब सब खत्म हो गया।

शिवपाल यादव ने जवाब दिया: “हमने यह सोचा कि चुनाव में मौका है। नेताजी की सीट पर दोनों लोग हमसे मिले। 13वीं तारीख के बाद अखिलेश और डिंपल हमारे घर आए। उस समय सभी साथी मौजूद थे। फोटो भी वायरल हुई थी। यह 17 नवंबर 2022 की बात है, लगभग एक महीने बाद उपचुनाव घोषित हो चुका था और डिंपल को समाजवादी पार्टी की तरफ से उम्मीदवार बनाया गया।”

उन्होंने कहा कि इतनी झटकों के बावजूद उन्होंने डिंपल को समर्थन दिया। जब ब्रजेश मिश्रा ने पूछा कि क्या नेताजी के ना होने की वजह से आप इमोशनली टूट गए थे, तो शिवपाल ने स्पष्ट किया, “नहीं, मैंने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को देखा और परिस्थितियों के मुताबिक डिंपल को चुनाव लड़ने का समर्थन किया। डिंपल ने खुद कहा कि उन्हें चुनाव लड़ना है और बस इतनी ही बात थी।”

शिवपाल ने बताया कि उनके घर आने के तीन दिन बाद जसवंत नगर में जॉइंट रैली हुई, जिसमें मंच साझा किया गया। उन्होंने कहा कि उस समय परिवार में गुस्सा खत्म कर एकजुट रहने का निर्णय लिया गया। शिवपाल ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी नेताजी के सामने कोई गलत निर्णय नहीं लिया और परिवार के बुजुर्गों की सलाह से राजनीतिक झगड़े समाप्त किए।

उन्होंने आगे बताया कि प्रोफेसर साहब, अभय राम और डिंपल समेत सभी बड़े बुजुर्गों ने मिलकर तय किया कि अब सबको एक परिवार की तरह रहना है। इसके बाद 8 दिसंबर 2022 को उन्होंने अपनी बनाई पीएसपीएल पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया। शिवपाल ने कहा, “मैंने किसी से कोई पद या लाभ नहीं मांगा। मेरी प्राथमिकता सिर्फ पार्टी को मजबूत करना और अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाना था।”

पॉडकास्ट में शिवपाल ने यह भी बताया कि अखिलेश और आदित्य दोनों उनके पुत्रों की तरह हैं, और राजनीतिक फैसलों में परिवार की एकता हमेशा सर्वोपरि रही। उन्होंने 2024 और 2027 के चुनावों में पूरी शक्ति और मनोयोग से काम करने का संकल्प भी जताया।

शिवपाल यादव ने कहा कि राजनीतिक झगड़े और मतभेदों के बावजूद, परिवार और पार्टी को एकजुट रखने की रणनीति ने समाजवादी पार्टी को मजबूती दी। इस बातचीत से न केवल 2022 की राजनीतिक घटनाओं की सच्चाई सामने आई है, बल्कि उत्तर प्रदेश में सपा की भीतरूनी राजनीति और परिवारिक समीकरणों पर भी नई रोशनी पड़ी है।

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