बुलंदशहर में दसवीं के छात्र ने अपने पिता को चाकुओं से गोदकर मार डाला है. पिता और बेटे के बीच कार की चाबी को लेकर मामूली विवाद हुआ था. बेटा आक्रामक हुआ और चाकू लेकर पिता पर हमला कर दिया. पिता यूपी पुलिस का कांस्टेबल था और बेटा बुलंदशहर के डीपीएस स्कूल का छात्र है.
पूत कपूत तो क्यो धन संचय… यह कहावत आपने जरूर सुनी होगी. बेटा कपूत होगा इसकी आशंका बुलंदशहर के प्रवीण कुमार को रत्ती भर भी नही थी. इसीलिए इकलौते बेटे की पढ़ाई-लिखाई अपने खून-पसीने की कमाई से शहर के सबसे बड़े दिल्ली पब्लिक स्कूल में करा रहे थे. बेटा दसवीं में पढ़ रहा था. बोर्ड के एक्जाम आने वाले थे. बिना ड्राइविंग लायसेंस के कार चलाने के शौकीन बेटे को जब यह करने से रोका तो इकलौते बेटे ने प्रवीण कुमार पर जानलेवा हमला कर दिया.
घर की रसोई में रखे चाकू को लेकर बेटा पिता पर आक्रामक हो गया. पिता पर एक एक करके अनगिनत चाकू के प्रहार कर डाले. रक्तरंजित चाकू लेकर बेटा पिता को मरणासन्न छोड़कर घर से भाग गया. लहूलुहान पिता को परिवार और पड़ौसी किसी तरह अस्पताल लेकर पहुंचे. गंभीर हालत में उसे नोयडा रेफर किया लेकिन नोयडा पहुंचने तक की सांसें प्रवीण कुमार के पास बाकी नही बची थी. उनकी रास्ते में ही मौत हो गयी.
प्रवीण कुमार यूपी पुलिस के कांस्टेबल थे. बेटा दसवीं में पढ़ रहा था. जीवन में पढ़ाई का यह हिस्सा महत्वपूर्ण होता है इसलिए पिता प्रवीण ने बेटे की देखरेख के मकसद से अपनी पोस्टिंग बिजली विभाग की विजिलेंस टीम में करा रखी थी. इस बहाने मौका मिलते ही घर चले आते थे बेटे की देखरेख के लिए.
बेटे के लिए उन्होने 400 गज की धरती में बहुमंजिला मकान बनवाया था. यहीं पर एक फ्लैट भी खरीदा था. मां भी सरकारी टीचर की नौकरी से दिन-रात खपकर बेटे के लिए कमा रही थी. इस बीच बेटे की सोहबत कब बिगड़ी पता ही नही चला. एक रात पहले भी वह गाड़ी लेकर निकल गया था. सुबह 4 बजे लौटा था. शाम होते ही फिर पिता से कार की चाबी मांगी. पिता का सवाल उठाना जानलेवा साबित हुआ.
मगर उन्हें उम्मीद भी नही थी कि जिस बेटे की जिंदगी संवारने के लिए उन्होने अपना जीवन झौंक रखा है वह एक दिन उन्हें ही इस दुनियां से रूखसत कर देगा. बड़ी मनौतियों से बेटा पाया था. मगर कार की चाबी देने का विरोध करने पर बेटा पिता के गिरेबां पर आमादा हो गया. पिता को बेटे ने कत्ल कर दिया.
कातिल बेटा पुलिस की हिरासत में है. पुलिस अब कानूनी कार्रवाई कर रही है.