मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग ने मंगलवार को कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी प्रमुख के खिलाफ लगाए गए हितों के टकराव के आरोप के केंद्र में स्थित ऑफशोर फंड का मुख्यालय इस द्वीपीय देश में नहीं है और आयोग मुखौटा कंपनियों के निर्माण की अनुमति नहीं देता है।
एफएससी ने एक बयान में कहा कि उसने 10 अगस्त, 2024 को हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट की सामग्री का संज्ञान लिया है, जिसमें ‘मॉरीशस स्थित मुखौटा संस्थाओं’ और मॉरीशस को ‘कर पनाहगाह’ के रूप में उल्लेख किया गया है।
“हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ‘आईपीई प्लस फंड’ एक छोटा अपतटीय मॉरीशस फंड है और ‘आईपीई प्लस फंड 1, मॉरीशस में पंजीकृत फंड है।’ हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि आईपीई प्लस फंड और आईपीई प्लस फंड 1 एफएससी के लाइसेंसधारी नहीं हैं और मॉरीशस में स्थित नहीं हैं।”
हिंडेनबर्ग ने शनिवार को आरोप लगाया कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति ने 2015 में सिंगापुर की एक वेल्थ मैनेजमेंट फर्म में खाता खोला था, ताकि बरमूडा स्थित एक फंड की मॉरीशस में पंजीकृत शाखा में अघोषित धनराशि का निवेश किया जा सके।
मॉरीशस के इस फंड का संचालन अडानी के एक निदेशक द्वारा किया जाता था और इसकी मूल कंपनी अडानी के दो सहयोगियों द्वारा फंड को इधर-उधर करने और स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला साधन थी।
गैर-बैंक वित्तीय सेवा क्षेत्र और वैश्विक व्यापार के लिए एकीकृत नियामक एफएससी ने इस फंड के मॉरीशस में पंजीकृत होने से इनकार किया।
एफएससी ने कहा कि मॉरीशस में विधायी ढांचा शेल कंपनियों के निर्माण की अनुमति नहीं देता है। एफएससी ने कहा, “मॉरीशस में वैश्विक व्यापार कंपनियों के लिए एक मजबूत ढांचा है। एफएससी द्वारा लाइसेंस प्राप्त सभी वैश्विक व्यापार कंपनियों को वित्तीय सेवा अधिनियम की धारा 71 के अनुसार निरंतर आधार पर सार आवश्यकताओं को पूरा करना होता है, जिसकी एफएससी द्वारा सख्त निगरानी की जाती है।”
एफएससी ने कहा कि मॉरीशस अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं का कड़ाई से अनुपालन करता है और इसे आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के मानकों के अनुरूप माना गया है।
इसमें कहा गया है, “हानिकारक कर प्रथाओं पर ओईसीडी फोरम द्वारा की गई समीक्षा के अनुसार, ओईसीडी इस बात से संतुष्ट है कि मॉरीशस की कर व्यवस्था में कोई हानिकारक विशेषता नहीं है, इसलिए मॉरीशस को एक सुविनियमित, पारदर्शी और अनुपालन क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई है। इसलिए, मॉरीशस को कर चोरी के लिए स्वर्ग नहीं कहा जा सकता है।”