बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए और इंडिया गठबंधन में शामिल सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं। हालांकि, समाजवादी पार्टी जैसे दल, जो बिहार चुनाव में भाग नहीं ले रहे, भी अपने गठबंधन की सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से जुटे हुए हैं। सपा के मुखिया अखिलेश यादव बिहार में इंडी गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में जनसभाएं संबोधित करेंगे।
लेकिन, इस बीच यादव परिवार की गांठे एक बार फिर खुलती हुई नजर आ रही हैं, जो आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। सपा के वरिष्ठ नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव को बिहार चुनाव के लिए जारी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल न किए जाने को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।
शिवपाल यादव का नाम लिस्ट से गायब
समाजवादी पार्टी ने हाल ही में बिहार चुनाव के लिए 20 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की थी, लेकिन इस लिस्ट में मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और सपा के कद्दावर नेता शिवपाल यादव का नाम नहीं था। इसके बाद कई चर्चाएं शुरू हो गईं, जिसमें कहा जा रहा है कि चाचा-भतीजे के रिश्ते अब पहले जैसे नहीं रहे। मैनपुरी उपचुनाव में एक साथ आए थे, लेकिन अब दरारें नजर आ रही हैं।
अखिलेश का मजाकिया जवाब
गाजीपुर में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव को स्टार प्रचारक न बनाए जाने का मजाकिया अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा, हमारे पास साधन कम हैं, इसलिए सीमित संसाधनों में जो प्रचार कर सकते हैं, वो कर रहे हैं। चाचा को लाते तो एक और हेलीकॉप्टर लेना पड़ता। अब हमारे पास इतने संसाधन नहीं हैं कि दो-दो हेलीकॉप्टर जुटा सकें। इस बयान पर वहां मौजूद लोग हंस पड़े, लेकिन राजनीतिक गलियारे में यह बयान कुछ और ही इशारा कर रहा था।
शिवपाल और आदित्य यादव का नाम क्यों गायब?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अखिलेश यादव का यह बयान और स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शिवपाल यादव और उनके सांसद बेटे आदित्य यादव का नाम न होना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश है। यह संकेत देता है कि सपा परिवार में अंदरूनी तनाव बढ़ता जा रहा है। वहीं, पार्टी ने इस लिस्ट में नए चेहरों को प्राथमिकता दी है, जिनमें पहली बार सांसद बनीं प्रिया सरोज और इकरा हसन शामिल हैं।
आजम खान को मिली प्राथमिकता
बता दे कि आजम खान को स्टार प्रचारक लिस्ट में तीसरे नंबर पर जगह दी गई है, जबकि वे इस समय विधायक नहीं हैं। इसके विपरीत, शिवपाल यादव विधानसभा के सदस्य हैं, फिर भी उनका नाम लिस्ट से बाहर रखा गया। यह बात राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है।













