भारत में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है और इसका दायरा अब सिर्फ घरेलू उपयोग तक सीमित नहीं है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग, डेटा सेंटर की बढ़ती संख्या, और शहरी परिवहन (ईवी और मेट्रो रेल) के विस्तार ने बिजली की खपत को और बढ़ा दिया है। इसके साथ ही, उपकरणों की बढ़ती पैठ (डिस्पोजेबल इनकम > 2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति) और मैन्युफैक्चरिंग में निवेश (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम्स और सेमीकंडक्टर कैपेक्स) से भी बिजली की मांग को मजबूती मिल रही है। भारत सरकार ने 2022-2032 के दौरान 6% की सालाना मांग वृद्धि (CAGR) का अनुमान लगाया है, लेकिन कोविड के बाद की स्थिति को देखते हुए इसमें और बढ़ोतरी की संभावना है।
यद्यपि नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) से प्रदूषण कम होता है, परंतु यह intermittency और मौसम पर निर्भरता के कारण पूरी तरह विश्वसनीय नहीं है। साथ ही, इसकी लागत अधिक है क्योंकि बैटरी या पंप्ड स्टोरेज संयंत्र की आवश्यकता होती है, और ग्रिड की स्थिरता बनाए रखने के लिए निवेश जरूरी है। इसलिए, विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा में कोयले की अहम भूमिका रहेगी, जबकि आने वाले दशक में न्यूक्लियर ऊर्जा भी योगदान देगी। भारत 2032 तक 80GW कोयला क्षमता जोड़ने का लक्ष्य रखता है, और वर्तमान में 20GW से अधिक का पावर पर्चेज एग्रीमेंट (PPA) पाइपलाइन में है।
अदाणी पावर लिमिटेड (APL) – देश की बड़ी थर्मल कोयला फ्रैंचाइज़ी
APL भारत का सबसे बड़ा स्वतंत्र पावर प्रोड्यूसर है और NTPC के बाद दूसरा सबसे बड़ा, जो कोयला क्षमता और उत्पादन में 8% हिस्सा रखता है। कंपनी की योजना 2032 तक अपनी क्षमता 41.9GW तक बढ़ाने की है, जिससे इसका बाजार हिस्सा 15% तक पहुंच सकता है। APL का बैलेंस शीट मजबूत है और 23.7GW नए प्रोजेक्ट्स के लिए 60-65% निवेश आंतरिक स्रोतों से पूरा होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर प्रोजेक्ट्स का पूरा होना, नए PPA का साइन होना और हाल में खरीदे गए 2.9GW पावर प्लांट की लाभप्रदता बढ़ने से APL की कमाई में इजाफा होगा। 2033 तक कंपनी का EBITDA 672 अरब रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।