भारत की युवा मुक्केबाज जैस्मिन लंबोरिया ने 2025 वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 57 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में उन्होंने पोलैंड की जूलिया स्जेरेमेटा को हराया, जिन्होंने पेरिस ओलंपिक 2024 में सिल्वर मेडल जीता था।
फाइनल मुकाबले में जैस्मिन पहले राउंड में जूलिया से पिछड़ गई थीं, लेकिन दूसरे राउंड में उन्होंने शानदार वापसी की। अंततः, जैस्मिन ने 4-1 से जीत दर्ज की और स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता में भारतीय पुरुष मुक्केबाज बिना किसी पदक के लौटे हैं। 12 साल में पहली बार ऐसा हुआ है, जब पुरुष मुक्केबाज खाली हाथ लौटे। जदुमणि सिंह को कजाखस्तान के सांजेर ताशकेनबे से 4-0 से हार का सामना करना पड़ा, जिससे यह पुष्टि हो गई कि भारतीय पुरुष दल इस बार कोई पदक नहीं जीत सका।
कौन हैं जैस्मिन लंबोरिया?
जैस्मिन लंबोरिया, जिन्होंने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता, 24 साल की हैं और हरियाणा के भिवानी जिले में 30 अगस्त 2001 को जन्मी हैं। वे एक मुक्केबाजी परिवार से हैं, लेकिन इस खेल में अपनी पहचान बनाना किसी लड़की के लिए आसान नहीं था। हालांकि, उन्होंने न केवल अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि अपने देश और प्रदेश का नाम भी रोशन किया।
उनके परदादा हवा सिंह, जो एक हैवीवेट मुक्केबाज थे, दो बार एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता रहे हैं। उनके दादा, कैप्टन चंदर भान, भी एक पहलवान थे। जैस्मिन को मुक्केबाजी में कोचिंग उनके चाचा संदीप सिंह और परविंदर सिंह ने दी, जो राष्ट्रीय चैंपियन भी रह चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय सफलता और भारतीय सेना में शामिल
2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में जैस्मिन ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था, और इसी साल उन्होंने वर्ल्ड बॉक्सिंग कप (Astana) में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया। उनकी उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद, भारतीय सेना ने उन्हें सम्मानित किया और उन्हें सेना में शामिल किया।
जैस्मिन की सफलता न केवल उनके परिवार की ही नहीं, बल्कि भारतीय मुक्केबाजी के लिए भी गर्व की बात है, और यह साबित करती है कि महिला खिलाड़ियों के लिए कोई भी लक्ष्य हासिल करना असंभव नहीं है।