मेरठ के हापुड़ रोड पर नेशनल हाईवे के किनारे बेशकीमती जमीन पर बनी कालोनी “अब्दुल्ला रेजीडेंसी” धार्मिक विवाद का मुद्दा बन गयी है. कालोनी का निर्माण बीते कई बरसों से चल रहा है. करीब 80 फीसदी प्लाट्स की बिक्री हो चुकी है. यह प्लाट्स किसे बेचे गये? सवाल यह नही है. सवाल बनी वो मस्जिद जो कालोनी के ब्लूप्रिंट का हिस्सा है और कालोनी के मॉडल में उसकी मौजूदगी है.
इस कालोनी में एक प्लाट मालिक अजीम अपनी कोठी बनवा रहे है. उन्होने बताया था कि यह पूरी मुस्लिम कालोनी है. इस सिंगल गेटिड कालोनी में मस्जिद, पार्क अबलेवल है. यूपी सरकार के मंत्री डॉ0 सोमेन्द्र तोमर के विधानसभा क्षेत्र में स्थित इस कालोनी से जुड़ी कुछ शिकायतें उन तक पहुंची. उन्होने मेरठ जिलाधिकारी को चिठ्ठी लिखकर इस कालोनी से जुड़े तथ्यों की जांच की मांग की थी.
मंत्री सोमेन्द्र तोमर के मुताबिक उन्हें यह जानकारी मिली थी कि इस कालोनी में सिर्फ मुसलमानों को ही प्लाट्स बिक्री किये गये है. किसी भी हिंदू को इस कालोनी में प्लाट या घर खरीदने की इजाजत नही है. मंत्री ने बिल्डर की इस मानसिकता पर आपत्ति करते हुए कहा कि यह बांटने वाली मानसिकता है. इसके अलावा मंत्री ने यह भी बताया कि इस कालोनी की जमीन के मालिकाना हक में मेरठ शहर के कुख्यात गैंगस्टर शारिक और उसकी फैमिली का कनैक्शन है.
मंत्री ने अपनी चिठ्ठी में 8 बिन्दु इंगित किये है और जिला प्रशासन से मामले की जांच करने के लिए कहा है. मंत्री ने यह भी कहा कि अगर जरूरत हुई तो राज्य सरकार की किसी बड़ी ऐजेंसी से भी इस मामले की जांच कराई जायेगी.
जिलाधिकारी डॉ वीके सिंह ने इस मामले में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट डॉ दीक्षा जोशी की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय जांच
टीम गठित की.
दो दिन की जांच के बाद 09 सितंबर को जांच टीम ने पाया कि कालोनी में आवास विकास परिषद की जमीन अवैध रूप से कब्जाई गयी है. पुलिस की मौजूदगी में कालोनी की वाउन्ड्रीवाल तुड़वाकर अतिक्रमण की गयी जमीन को कब्जामुक्त कराया गया. इस दौरान बिल्डर और उनसे स्टाफ ने पुलिस-प्रशासन के अफसरों से अभद्रता की.

नौचंदी थाने में इस संबध में एक केस भी दर्ज कराया गया है.
अब तक की जांच के मुताबिक यह पाया गया कि कालोनी के आगे की जमीन आवास विकास ने सड़क चौड़ीकरण के लिए लेकर पीछे की अपनी जमीन भी बिल्डर को समायोजित की है. कालोनी का मानचित्र एप्रव्ड है. साथ ही निर्माण मानचित्र के अनुरूप पाया गया है.
कालोनी में मस्जिद अभी तक नही बनी है मगर मस्जिद के लिए छोड़ी गयी जमीन पर ढांचा खड़ा करने की तैयारी है. मॉडल में भी मस्जिद मौजूद है. इस मस्जिद को निर्माण के लिए राज्य सरकार से अनुमति ली गयी है या नही, यह जांच रिपोर्ट को अंतिम रूप दिये जाने के बाद स्पष्ट हो पायेगा.

जहां तक मुद्दा गैगस्टर शारिक से कालोनी की जमीन के कनैक्शन का है, यह सत्य है कि बिल्डर महेन्द्र नाथ के साथ साझीदार जावेद शारिक के कुनबे से ही है. बताया जाता है कि यह जमीन पुरखों ने अर्जित की थी. लाजिमी है हिस्सेदारी सभी की होगी. मगर जांच रिपोर्ट फाइल होने से पहले यह नही बताया जा सकता कि यह प्रोजेक्ट शारिक का था या फिर पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए और इस प्रोजेक्ट को बचाने के लिए हिंदू बिल्डर का सहारा लिया गया.
इस कालोनी में जिस एक प्लाट की कीमत डेड़-दो साल पहले तक 70-80 लाख रूपये थी, हापुड़ अड्डे को बुलंदशहर नेशनल हाईवे को जोड़कर चौड़ी हुई सड़क ने इलाके की सूरत बदल दी है. साथ ही गंगाएक्सप्रेसवे, मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे एक्सटेंशन से इस हाईवे के जुड़ाव के बाद अब वही प्लाट 2 से ढाई करोड़ तक का है. कालोनी में 78 प्लाट्स है. ज्यादातर प्लाट्स मुस्लिम रईसों ने खरीदे है.
मामले के तूल पकड़ने से लेकर 9 सितंबर को अवैध कब्जा हटाने के लिए चले बुलडोजर तक की कहानी बहुत सारे सवालों के जबाब देती है. शहर में इस कहानी को लेकर चटखारे भी लिये जा रहे है. चर्चा तो यहां तक कि बाबा का बुलडोजर यहां भी कहर ढायेगा.
दरअसल, कयासबाज यूपी में इससे पहले गैंगस्टरों से जुड़ी सम्पत्ति के हश्र को देखते हुए यह बात कह रहे है. मगर बिल्डर से जुड़े ओहदेदारों के बयानों को देखें तो अब कालोनी में हिंदुओं की आमद के लिए भी दरवाजे खुले है. हालांकि एक तर्क यह भी है कि इस कालोनी के आसपास एक किलोमीटर की परिधि में शायद ही कोई हिंदू आबादी हो. सोचना बनता है कि इस इलाके में भला कौन हिंदू अपना घर बसाना चाहेगा.