भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी संदीप भागिया पर महिला अधिकारियों ने यौन उत्पीड़न के संगीन आरोप लगाए हैं। आरोपों में ऑफिस में घंटों घूरना, रातभर वीडियो कॉल करना और छुपकर वीडियो बनाना शामिल हैं। इसके साथ ही विरोध करने वाली महिला अधिकारियों को फर्जी आरोपों में फंसाकर निलंबित कराने का भी आरोप सामने आया है।
इस मामले में संदीप भागिया ने स्वयं अपने अधीनस्थों की मदद से जांच कमेटी बनाई, जिसे लेकर निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद 8 अगस्त को विशाखा कमेटी का गठन किया गया था। लेकिन मात्र 10 दिनों के भीतर इसे बदल दिया गया क्योंकि उस कमेटी में “चहेते अफसर” शामिल नहीं थे। अब आरोप है कि जांच पूरी तरह आरोपी अधिकारी के नियंत्रण में है, जिससे सच बाहर न आ सके।
स्टेट GST विभाग में महिला अधिकारियों के लिए ‘टॉक्सिक’ माहौल बन गया है, जिसमें डर और दबाव में काम करना मजबूरी बन गई है। लिखित शिकायत देने के बावजूद अभी तक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच नहीं हो पाई है। प्रशासनिक खेल और जांच प्रक्रिया को भटकाने के तरीकों से यह मामला और अधिक जटिल बन गया है।
महिला अधिकारियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए स्वतंत्र जांच की मांग तेज हो रही है। इस पूरे मामले ने सरकारी तंत्र में सत्ता और नियंत्रण के दुरुपयोग की गंभीर छवि पेश की है।