दिल्ली : आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जन्मदिन सिर्फ एक नेता का जन्मदिन नहीं है, बल्कि यह उस विचार का उत्सव है जिसने देश की राजनीति को बदलने की हिम्मत दिखाई। उन्होंने दिखाया कि बिना बड़े घराने, बिना जाति के समर्थन, बिना पैसे के सत्ता भी जनता के समर्थन से जीती जा सकती है। उन्होंने बताया कि राजनीति अगर साफ नीयत से की जाए, तो वह सबसे बड़ी सेवा बन सकती है। दिल्ली में बच्चों के स्कूल सुधरे, अस्पतालों में इलाज फ्री हुआ, मोहल्ला क्लिनिक बना और बिजली-पानी पर राहत मिली, तो यह केवल सरकारी योजना नहीं थी, यह उस सोच का परिणाम था जिसमें हर आम आदमी को इज्ज़त से जीने का हक मिले। यही सोच पंजाब तक पहुंची। वहां किसानों के बिजली बिल माफ हुए, स्कूलों में बदलाव दिखने लगा, मोहल्ला क्लिनिक बनने लगे, भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई हुई और सरकारी नौकरी पाना सपने से हकीकत बना। यह दिखाता है कि ईमानदारी सिर्फ नारा नहीं, अगर इरादा सही हो तो बदलाव असली होता है।
अब गुजरात की धरती पर भी यह हवा चल रही है। और यूपी और बिहार में भी बदलाव की चाह जनता के मन में है। आम आदमी पार्टी एक नई राजनीतिक लेकर आई है, जहां सत्ता के लिए नहीं, जनता को बुनियादी सुविधाओं के लिए लड़ाई होती है। जहां नेता अपने प्रचार में नहीं, जनता की सेवा में दिखता है।
अरविंद केजरीवाल सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, राष्ट्रीय लेवल का एक ऐसा चेहरा हैं। जिस पर उत्तर से लेकर दक्षिण तक , पूर्व से लेकर पश्चिम तक की जनता को भरोसा होने लगा है। उनका जन्मदिन हर उस नागरिक के लिए है, जो राजनीति में सच्चाई की जगह चाहता है। उनकी लंबी उम्र की कामना सिर्फ एक नेता के लिए नहीं, बल्कि उस रास्ते के लिए है जो उन्होंने सबके लिए खोला राजनीति की नई परिभाषा का रास्ता।
आज अरविंद केजरीवाल एक राष्ट्रीय उम्मीद का नाम बन चुके हैं। उनकी राजनीति ने यह साबित किया है कि अगर इरादे नेक हों और नीयत साफ, तो सत्ता भी सेवा का माध्यम बन सकती है। देशभर में करोड़ों लोग उन्हें सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक ईमानदार बदलाव की संभावना के रूप में देखते हैं। दिल्ली और पंजाब के अनुभव ने पूरे देश को एक विकल्प दिया है, ऐसा विकल्प जो न जाति पूछता है, न धर्म देखता है, बल्कि सिर्फ काम और नतीजों की राजनीति करता है। आज गोवा की गलियों से लेकर बिहार के गांवों तक और उत्तर प्रदेश के युवा वर्ग में केजरीवाल एक प्रेरणा की तरह उभर रहे हैं, जो उन्हें पुराने सियासी ढांचे से अलग सोचने की ताक़त देता है।
यह दिन केवल एक नेता के जन्म का नहीं, बल्कि उस राजनीतिक क्रांति की सालगिरह है जिसने देश के करोड़ों आम लोगों को हक, सम्मान और विश्वास की राजनीति से जोड़ा। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जनता अब नेताओं से भाषण नहीं, समाधान चाहती है; प्रचार नहीं, परफॉर्मेंस चाहती है; और सत्ता नहीं, सेवा की भावना चाहती है। आज जब देश के युवा बेरोज़गारी से जूझ रहे हैं, किसान उम्मीदों के सहारे खड़े हैं और आम नागरिक महंगाई की मार झेल रहा है, ऐसे वक्त में अरविंद केजरीवाल एक ईमानदार, निडर और सक्षम नेतृत्व की उम्मीद बनकर उभरे हैं।
उनकी राजनीति वो आईना है जिसमें आम आदमी खुद को देखता है, और पहली बार राजनीति में अपनी जगह, अपनी आवाज़ और अपना सपना देखता है। यह केवल एक जन्मदिन नहीं, बल्कि उस भारत का संकल्प है, जहां राजनीति का मतलब हो, स्कूल, स्वास्थ्य, रोज़गार और इज़्ज़त से जीने का अधिकार।