World’s Largest Cemetery: इंसान जीते जी तो इच्छाएं रखता ही है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि मरने के बाद भी कुछ लोगों की एक ख्वाहिश होती है… एक खास जगह दफन होने की। दुनिया में एक ऐसा कब्रिस्तान है, जहां लोग जीते जी यह इच्छा रखते हैं कि मरने के बाद वहीं दफन हों। यही वजह है कि यह जगह आज दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान बन चुकी है। यह कब्रिस्तान है इराक के पवित्र शहर नजफ में स्थित वादी उस-सलाम (Wadi-us-Salaam), जिसका अर्थ होता है… शांति की घाटी।
दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान
यह कब्रिस्तान केवल अपने आकार के लिए नहीं, बल्कि अपने धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां अब तक लगभग 60 लाख से अधिक लोगों को दफनाया जा चुका है, और यह सिलसिला आज भी जारी है। यह कब्रिस्तान करीब 1485.5 एकड़ भूमि में फैला हुआ है, जो लगभग 6 वर्ग किलोमीटर होता है। माना जाता है कि यह स्थान 1400 साल से भी अधिक पुराना है।
कितना बड़ा है ये कब्रिस्तान
वादी उस-सलाम सिर्फ एक कब्रिस्तान नहीं, बल्कि एक धार्मिक आस्था का केंद्र है। यह शिया मुसलमानों के लिए एक बेहद पवित्र स्थान माना जाता है, क्योंकि यह इमाम अली इब्न अबी तालिब की दरगाह के बेहद पास स्थित है। इमाम अली शिया मुसलमानों के पहले इमाम और सुन्नी मुसलमानों के चौथे खलीफा माने जाते हैं। मान्यता है कि उनके पास दफन होना आत्मिक शांति, पुण्य और स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग है। यही वजह है कि दुनियाभर से शिया मुसलमान यहां दफन होने की इच्छा रखते हैं।
हज़रत आदम के समय से ही पूजा स्थल
इस कब्रिस्तान का इतिहास इस्लाम के भी पहले का बताया जाता है। माना जाता है कि यहां पर पैगंबर हुद और सालेह जैसे कई नबियों की भी कब्रें मौजूद हैं। यह स्थान हज़रत आदम के समय से ही पूजा स्थल रहा है। वादी उस-सलाम, केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम है। यह इराक के इतिहास, युद्धों, धार्मिक संघर्षों और शिया परंपराओं का मौन गवाह है।
माहौल बेहद शांत और श्रद्धामय होता है
यहां आना और इसे देखना अपने-आप में एक अनोखा अनुभव होता है। यह कब्रिस्तान नजफ शहर में स्थित इमाम अली की मजार से कुछ ही दूरी पर है और यहां दर्शन करने आने वालों के लिए कुछ नियम भी हैं। परिसर में जूते पहनकर जाना मना है और हालांकि फोटोग्राफी की अनुमति होती है, फिर भी वहां का माहौल बेहद शांत और श्रद्धामय होता है।
विश्व धरोहर स्थल का दर्जा!
बड़ी बात ये भी है कि वादी उस-सलाम को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की टेंटेटिव लिस्ट में भी शामिल किया गया है। इसका मतलब है कि इसे भविष्य में आधिकारिक विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी मिल सकता है।
वह है नजफ की यह पवित्र ज़मीन
शांति की घाटी कहे जाने वाले इस विशाल कब्रिस्तान में सिर्फ मृत शरीर नहीं दफन हैं, बल्कि वहां की हर कब्र में इतिहास, आस्था और मानवीय भावनाओं की एक अनकही कहानी छिपी है। वादी उस-सलाम दुनिया को यह दिखाता है कि मौत के बाद भी श्रद्धा का एक मुकाम होता है… और वह है नजफ की यह पवित्र ज़मीन।